देहरादून: प्रदेश में आबकारी विभाग की लाइसेंसी दुकानों के बंद होने का सिलसिला जारी है. अब देहरादून में भी 6 लाइसेंसी शराब की दुकानें बंद हो गई हैं. वित्तीय वर्ष आने से पहले शराब की दुकानें लगातार बंद होती जा रही है उससे आबकारी विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. लाइसेंसी शराब दुकानों के ठेकेदारों पर करोड़ों रुपए की मासिक अधिभार देनदारी को वसूल करना भी आबकारी अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.
देहरादून में भी 6 शराब की दुकानें कैंसिल उत्तराखंड में आबकारी विभाग के लाइसेंसी शराब दुकानों के बंद होने के चलते राजस्व घाटे का सिलसिला लगातार जारी है. राज्य में एक के बाद एक लाइसेंसी दुकानें घाटे के कारण बंद होने से अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है. पहले उधम सिंह नगर में घाटे के कारण 15 दुकानें कैंसिल हुई. अब राजधानी देहरादून में भी 6 लाइसेंसी शराब दुकानों से राजस्व वसूली न होने के चलते कैंसिलेशन क आदेश जारी कर दिये गये हैं.
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जानकारी के अनुसार देहरादून में कैंसिल की गई 6 दुकानों का मासिक अधिभार जमा ना होने के चलते जिलाधिकारी ने इनके कैंसिलेशन के आदेश जारी किये हैं.
राजधानी देहरादून में बंद होने वाली लाइसेंसी शराब दुकानों की सूची
- जाखन
- रायपुर
- सर्वे चौक
- कारगी चौक
- बिंदाल पुल
- RR 3
बता दें कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण लंबे समय तक लाइसेंसी शराब की दुकानें बंद होने के चलते आबकारी विभाग को पहले ही करोड़ों का घाटा हो चुका है. ऐसे में अब अनलॉक के दौर में घाटे में चलने के कारण मासिक अधिभार समय से जमा न होने के चलते एक के बाद एक शराब की दुकानों के कैंसिलेशन की प्रक्रिया चल रही. इससे पहले उधम सिंह नगर में 15 दुकानों के कैंसिलेशन का आदेश जारी हुआ था.
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हालांकि बमुश्किल इनमें से 9 दुकानों को किसी तरह से दोबारा खुलवाया गया, लेकिन उधम सिंह नगर की बंद हुई बाकी 6 दुकानों को खुलवाने में आबकारी अधिकारी सफल नहीं हो सके.अब देहरादून में भी 6 शराब की दुकानों का मासिक अधिभार जमा न होने के चलते उन्हें बंद करने का निर्णय प्रशासन ने लिया है.
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आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल
उत्तराखंड में 2019-20 में पहले ही शराब की कई लाइसेंसी दुकानें बिक्री न होने के चलते आबकारी विभाग को राजस्व घाटा उठाना पड़ा है. ऐसे में एक के बाद एक जिस तरह से वित्तीय वर्ष आने से पहले शराब की दुकानें लगातार बंद होती जा रही है उससे आबकारी विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. लाइसेंसी शराब दुकानों के ठेकेदारों पर करोड़ों रुपए की मासिक अधिभार देनदारी को वसूल करना भी आबकारी अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.