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उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाएगी CAMPA योजना, खर्च होंगे ₹77 करोड़ - उत्तराखंड के जंगलों में आग

उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने के लिए कैंपा योजना के तहत जंगलों में जल संरक्षण किया जाएगा. इसके लिए वन विभाग 77 करोड़ 67 लाख की धनराशि खर्च करेगा. जल संरक्षण योजना को बढ़ावा देने के कार्यों में लगभग 10 हजार लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.

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Published : Jun 15, 2021, 6:21 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड के वन क्षेत्रों में इस साल समय से पहले प्री मॉनसून की तर्ज पर पर्याप्त बारिश होने के कारण फायर सीजन पिछले सालों के मुकाबले राहत भरा गुजर गया है. ऐसे में अब होने वाली बारिश को देखते हुए वन विभाग जंगलों में जल संरक्षण योजना पर प्रभावी रूप से कार्य करने की रूपरेखा तैयार कर रहा है.

इसके लिए कैंपा (प्रतिकारात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) के तहत जंगल की जमीनों को जल संरक्षण के तहत सुरक्षित करने के दृष्टिगत 77 करोड़ 67 लाख की धनराशि वन विभाग जल संरक्षण संबंधित योजनाओं पर खर्च करेगा. क्षेत्रों में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के दृष्टिगत वन विभाग द्वारा तैयारियां की जा रही हैं. इतना ही नहीं, मॉनसून सीजन में प्रदेश के जंगलों में जल संरक्षण योजना को बढ़ावा देने के कार्यों में लगभग 10 हजार लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.

योजना के तहत 10 हजार लोगों को मिल सकता है रोजगार

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जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के अधिकांश भूभाग वन क्षेत्र के हैं. ऐसे में हर साल फरवरी मध्य से ही फायर सीजन शुरू हो जाता है. पहाड़ों से लेकर मैदानी जंगलों में धधकने वाली आग लाखों-करोड़ों की वन संपदा को हर साल निगल जाती है. ऐसे में अब इस साल मॉनसून सीजन में कैंपा योजना के तहत जंगलों में अधिक से अधिक नमी कायम रखने के लिए जल संरक्षण योजना को बढ़ावा देना आवश्यक हो गया है.

उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाएगी CAMPA योजना

इसी क्रम में वन विभाग इस योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी कर रहा है. ताकि फायर सीजन में आग की घटनाओं से जंगलों को सुरक्षित किया जा सके.

जानकारी के मुताबिक प्रदेश का वन विभाग कैंपा योजना के तहत मिलने वाले बजट के तहत वन क्षेत्रों में तालाब, धारा, कुंड, ताल, कंटूर ट्रेंच, चेकडैम जैसे जल स्रोतों को फिर से जीवित करके जल संरक्षण किया जाएगा.

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उत्तराखंड के जंगलों में जल संरक्षण के तहत होने वाले कार्य

  • 10 हजार से 2.5 लाख क्षमता के 3895 तालाब बनाए जाएंगे.
  • 763 जल स्रोतों को फिर से जीवित किया जाएगा.
  • 8607 कंटूर ट्रेंच तैयार किए जाएंगे.
  • 18704 खाल-चाल व चेकडैम तैयार किए जाएंगे.
  • जंगलों में 484 वाटर टैंक बनाए जाएंगे.
  • जंगलों में जल संरक्षण के तहत 1.70 हेक्टेयर में 185 स्थानों पर पौधारोपण होगा.

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