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अल्मोड़ा: IMA के गौरवशाली क्षण का हिस्सा नहीं बन पाएंगे दिव्यांशु के परिजन - देहरादून पासिंग आउट परेड

इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) में 13 जून को पासिंग आउट परेड होने जा रही है. इस परेड को लेकर सभी तैयारियां भी कर ली गई है. लेकिन, इस बार कोरोना के चलते पीओपी में परिजन गौरवशाली क्षण का हिस्सा नहीं बन पाएंगे. जिसमें दिव्यांशु कबडवाल के परिजन भी शामिल हैं.

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दिव्यांशु कबडवाल

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Published : Jun 12, 2020, 4:20 PM IST

अल्मोड़ा:कोरोना महामारी का असर इस बार इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) में होने वाली पासिंग आउट परेड पर भी पड़ा है. आईएमए की पासिंग आउट परेड में पहला मौका होगा, जब कैडेट के परिजन गौरवमयी क्षण का हिस्सा नहीं बन पाएंगे. कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार होने वाली पासिंग आउट परेड में अकादमी की ओर से किसी भी कैडेट के परिजनों को नहीं बुलाया गया है. जिसे लेकर जेंटलमैन कैडेट्स के परिवार में गौरवमयी क्षण का साक्षी न बनने को लेकर मायूसी है.

आईएमए की पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो पाएंगे परिजन.

भारतीय सेना में अधिकारी बनकर अल्मोड़ा का नाम रोशन करने वाले दिव्यांशु कबडवाल के परिजन भी इस बार कोरोना महामारी के चलते इस गौरवमयी क्षण का हिस्सा नहीं बन सकेंगे. जिसे लेकर उनके परिजनों में मायूसी है. दिव्यांशु के परिवार का कहना है कि जेंटलमैन कैडेट्स की पासिंग आउट परेड उनके परिवार के लिए गौरवमयी क्षण हैं. दिव्यांशु को अधिकारी बनता देखने की इच्छा तो बहुत है, लेकिन अकादमी ने सभी की सुरक्षा के लिए किसी को अनुमति नहीं दी है.

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इंडियन मिलिट्री एकेडमी में पासिंग आउट परेड के बाद सेना के बड़े अधिकारी बनने वाले दिव्यांशु अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट तहसील के कफड़ा गांव के मूल निवासी हैं. दिव्यांशु का पूरा परिवार कफड़ा गांव में ही रहता है. दिव्यांशु के पिता जगदीश चंद्र कबडवाल कफड़ा में पोस्टमास्टर के पद पर तैनात हैं. जबकि, उनकी माता लता कबडवाल गृहणी के साथ सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनके छोटे भाई अभी पड़ाई कर रहें हैं. यहां पर उनके माता-पिता के अलावा उनकी दादी और एक छोटे भाई रहते हैं.

कफड़ा गांव में उनके दो चाचा और उनके परिवार भी रहते हैं. दिव्यांशु कबडवाल की माता लता कबडवाल का कहना है कि उनका बेटा बचपन से ही होनहार है. बचपन से ही दिव्यांशु में लीडरशिप करने की क्षमता रही है. दिव्यांशु की शुरूआती पड़ाई पब्लिक स्कूल सुनोली में हुई. कक्षा 6 से 12 तक उन्होंने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में शिक्षा ली. इसके बाद उन्होंने एनडीए क्वालीफाई किया है.

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