देहरादून: उत्तराखंड के बेरोजगारों की नौकरियां छीने जाने वाली सिफारिशें उनके लिए मुसीबत बनी हुई हैं. विधानसभा में करीबियों को नौकरी (uttarakhand assembly job Matter) देने का मामला अभी थमा भी नहीं है कि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य (Cabinet Minister Rekha Arya) का एक पुराना पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है. इस पत्र में रेखा आर्य चार लोगों को अपने विभाग में नौकरी देने की सिफारिश कर रही हैं.
अब मंत्री रेखा आर्य का नौकरी देने का सिफारिशी पत्र हुआ वायरल, ठगा महसूस कर रहे युवा
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य का एक पुराना पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस पत्र में वो चार लोगों को अपने विभाग में नौकरी देने की सिफारिश कर रही हैं. वहीं इस समय इस पत्र का वायरल होना यह साबित कर रहा है कि जिन मंत्रियों और रसूखदार लोगों ने नौकरियों के लिए अपने करीबियों को तरजीह दी है, उनसे जुड़े सभी नए और पुराने मामले हर स्तर पर उजागर किए जा रहे हैं. हालांकि ईटीवी भारत इस वायरल पत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दरबार से लेकर मंत्रियों के कार्यालयों तक सिफारिशी पत्रों का ऐसा जमावड़ा लगा हुआ है, जो मेहनती और बेरोजगार युवाओं की नौकरियों पर डाका डाल रहा है. उत्तराखंड विधानसभा में वीवीआईपी लोगों के करीबियों को नौकरी देने के मामले ने इस बात को साबित किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि अब नियुक्तियों में धांधली की चर्चाओं के बीच कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य का एक ऐसा पत्र वायरल (rekha arya viral letter) हो रहा है, जिसमें वह चार लोगों को नौकरी देने की सिफारिश कर रही हैं. वैसे तो यह पत्र साल 2020 का है, लेकिन इस समय इस पत्र का वायरल होना यह साबित कर रहा है कि जिन मंत्रियों और रसूखदार लोगों ने नौकरियों के लिए अपने करीबियों को तरजीह दी है, उनसे जुड़े सभी नए और पुराने मामले हर स्तर पर उजागर किए जा रहे हैं.
रेखा आर्य के इस पत्र में उत्तरकाशी निवासी सुरेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह, पंकज रावत और आकाश राणा को नौकरी देने की सिफारिश (Cabinet Minister Rekha Arya letter) की गई है. पत्र में लिखा गया है कि संबंधित चार शिक्षित बेरोजगार लोगों को विभाग में जहां भी आवश्यकता हो उन्हें तत्काल समायोजित किया जाए. मंत्री रेखा आर्य की तरफ से यह पत्र पशुपालन और मत्स्य विभाग के सचिव को भेजा गया है. मंत्रियों का कुछ लोगों को लेकर इस तरह का रवैया ही बेरोजगारों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है. बिना परीक्षाओं के ही नौकरी देने की इस परंपरा ने उन बेरोजगार युवाओं के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं जो सालों साल तक कोचिंग और ट्यूशन के साथ घर में घंटों पढ़ाई करके नौकरी पाने का सपना देखते हैं.
नोट- ईटीवी भारत वायरल पत्र की पुष्टि नहीं करता है.