देहरादून: कोरोनाकाल में जिन बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है या जिन बच्चों के देखभाल सिंगल पेरेंट्स कर रहे हैं, ऐसे बच्चों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जाएगी. ऐसे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए राज्य सरकार वात्सल्य योजना लेकर आई है, जिसे बुधवार को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि अभी इस योजना के शासनादेश के जारी होने का इंतजार है. इस योजना का लाभ लेने के लिए कैसे आवेदन किया जा सकता है आइए जानते हैं...
आपको किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े और आसानी से आप इस योजना का लाभ ले सकें. इसके लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने सीधे सूबे की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य से बात की. उन्होंने बताया कि वात्सल्य योजना से जो भी लाभान्वित होना चाहता है, उसके लिए एक फॉर्म तैयार किया गया है. फॉर्म अपने जिले के जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से निशुल्क प्राप्त किया जा सकता है.
उप-जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी
इस योजना का लाभ जरूरतमंद बालक-बालिकाओं तक पहुंचे, इसके लिए सभी जिलों के उप-जिलाधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है. इसके साथ ही तहसीलदारों को बच्चों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. तहसीलदार कोरोनाकाल में अनाथ हो चुके बच्चों या ऐसे बच्चे जिनकी परवरिश सिंगल पैरेट्स कर रहे हैं उनकी सूची तैयार करेंगे. सूची तैयार कर उसे संबंधित जिले के उप जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा.
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क्या है तीरथ सरकार की वात्सल्य योजना ?
वात्सल्य योजना के तहत सूबे की तीरथ सरकार कोरोनाकाल में अनाथ हुए बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान करने जा रही है. इसके तहत जहां प्रति माह बच्चे के खाते में सरकार की ओर से 3 हजार रुपए दिए जाएंगे, वहीं बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार उठाएगी. इसके साथ ही बच्चे की पैतृक संपत्ति का कोई दुरूपयोग न हो इसकी जिम्मेदारी संबंधित जिलाधिकारी को दी गई है.
555 बच्चों को किया जा चुका है चिन्हित
वात्सल्य योजना के लिए आवेदन करने के बाद जरूरतमंद बच्चे को कब तक इस योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सका है. इस पर राज्यमंत्री रेखा आर्य का कहना था कि वात्सल्य योजना के लिए जल्द ही शासनादेश जारी कर दिया जाएगा. राज्यमंत्री रेखा आर्य के मुताबिक अब तक प्रदेश भर में लगभग 555 बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है.