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सिटी बस और विक्रम यूनियन आमने-सामने, फुटकर सवारियां उठाने पर नाराजगी - City Bus Union News

देहरादून शहर में चल रहे टैंपो-विक्रम के रवैये से सिटी बस यूनियन में नाराजगी है. आरोप है कि टैंपो और विक्रम शहर के मुख्य मार्गों एवं चौराहों के आसपास स्टैंड बना कर यातायात व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं.

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Published : Dec 18, 2019, 1:10 PM IST

देहरादून: सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने देहरादून यातायात पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि यातायात पुलिस टैंपो, विक्रम और अन्य ठेका गाड़ियों को अपने लाभ के लिए संरक्षण दे रहे हैं. ऐसे में बस यूनियन ने देहरादून एसएसपी से शिकायत की है. उनका कहना है कि विक्रम को फुटकर सवारियां उठाने का कोई अधिकार नहीं है बावजूद इसके विक्रम संचालक फुटकर सवारियां उठाकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

बस यूनियन और विक्रम संचालक आमने-सामने.

विजय वर्धन डंडरियाल का आरोप है कि टैंपो और विक्रम शहर के मुख्य मार्गों एवं चौराहों के आसपास स्टैंड बना कर यातायात व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं. डंडरियाल के अनुसार सूचना के तहत पुलिस विभाग ने बताया है कि न तो पुलिस ने विक्रमों को स्टैंड आवंटित किए गए हैं और न ही पुलिस को स्टैंड देने का अधिकार है. जबकि, ट्रैफिक की सुचारू व्यवस्था के लिए यातायात निदेशालय बना हुआ है और उसके अनुसार यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस, सीपीयू, सिविल पुलिस और होमगार्ड जैसे विभाग आते हैं.

उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि विक्रम को फुटकर सवारियां चढ़ाने और उतारने का कोई अधिकार नहीं है. उसके बावजूद विक्रम और टेंपो संचालक फुटकर सवारियां उतारते और चढ़ाते हैं, जो कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है. टेंपो-विक्रम (कॉन्ट्रेक्ट कैरिज) ठेका गाड़ी परमिट है. ऐसे में टेंपो विक्रम को बुकिंग में एक स्थान से दूसरे स्थान तक सवारियों को चढ़ाने और उतारने का परमिट दिया जाता है. विक्रम संचालक फुटकर सवारियों को जगह-जगह से न चला सकते हैं और न ही उतार सकते हैं. टैंपो-विक्रम का संचालन या तो अपने घर के गैराज से या खरीदे गए स्थान में ही बुकिंग की सवारियों को ही बैठाने का अधिकार है, लेकिन वर्तमान समय में विक्रम और टेंपो संचालक खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर पुलिस को ठेंगा दिखा रहे हैं.

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डंडरियाल के मुताबिक आरटीआई से जानकारी मिली है कि एक ही रोड पर 80 दिन में लगभग विक्रमों द्वारा डेढ़ लाख चक्कर लगाए गए और पुलिस ने केवल दो ही चालान काटे. जो अपने में एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है, क्योंकि जिस तरीके से अवैध रूप से विक्रम सड़कों पर खड़े रहते हैं. पुलिस उन पर कार्रवाई करने से बचती है 80 दिन में केवल 2 चालान यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं पुलिस की मिलीभगत से विक्रम चालक मनमानी पर उतारू हैं.

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