देहरादून:राजधानी दून में मौजूद भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज का एक बड़ा गौरवशाली इतिहास रहा है. इस शिक्षण संस्थान ने देश को कई वीर जवान और सेना के बड़े अधिकारी दिए हैं. वहीं, RIMC की स्थापना से लेकर यह चलन था कि केवल पुरुष छात्रों को ही यहां प्रवेश की परंपरा थी, लेकिन बीते साल RIMC ने अपनी स्थापना के 100 साल पूरे के उपलक्ष्य में कॉलेज में लड़कियों के प्रवेश की शुरुआत की थी. अब यहां आंध्र प्रदेश की भाई बहन की जोड़ी प्रशिक्षण ले रही है, जो काफी चर्चाओं में है.
राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में ट्रेनिंग. गौर हो कि पहले सत्र में लड़कियों के लिए 5 सीटें रखी गई थीं, जिसमें से 2 लड़कियों ने पहली दफा RIMC में प्रवेश लिया था. जिसमें एक लड़की किन्हीं कारणों से एडमिशन नहीं ले पाई थी. ऐसे में बाकी की 4 सीटें खाली थीं. इस जनवरी से शुरू हुए दूसरे प्रवेश सत्र में 9 लड़कियों का चयन हुआ है. अभी कुल 10 लड़कियां यहां प्रशिक्षण ले रही हैं. इनमें एक सबसे पहली एडमिशन लेने वाली लड़की है.
राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में प्रशिक्षु. आंध्र प्रदेश के 2 भाई बहन की जोड़ी चर्चित:भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज में इस जनवरी से शुरू हुए सत्र में आंध्र प्रदेश के नंदवाल के रहने वाले सुजान को 2 साल पहले 8 वीं में प्रवेश मिला था. सुजान अभी 10वीं में हैं. अब सुजान की छोटी बहन तेल्लूरी एग्नेस को भी 8वीं में प्रवेश मिला है. RIMC के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ दो भाई-बहन पढ़ रहे हैं और यही वजह है कि यह जोड़ी कॉलेज में काफी चर्चित है.
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बता दें कि देहरादून में मौजूद RIMC कॉलेज में 13 वर्ष की आयु तक के छात्रों को 8 वीं में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा होती है जिसमें रिटर्न एग्जाम के बाद इंटरव्यू और मेडिकल भी होता है. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद देश भर के छात्रों का मेरिट लिस्ट के आधार पर प्रवेश किया जाता है. एक सत्र में देश भर के 30 छात्रों को यहां प्रवेश का मौका मिलता है. इसमें 5 सीट लड़कियों के लिए भी आरक्षित हैं. RIMC देहरादून में 8वीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई होती है. यह कॉलेज रक्षा मंत्रालय के अधीन है और हर राज्य का कोटा निर्धारित है.
राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में भाई-बहन. भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज का गौरवशाली इतिहास: 13 मार्च 1922 को तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स ने देहरादून में रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज नाम से कॉलेज की स्थापना की थी. बाद में किंग एडवर्ड के हाथों हुए उद्घाटन के बाद इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज किया गया. देश की आजादी से पहले इस कॉलेज में भारतीय युवाओं को प्रशिक्षित कर ब्रिटिश सेना के लिए तैयार किया जाता था और उन्हें ब्रिटिश भारतीय सेना अधिकारी की जिम्मेदारियां भी दी जाती थीं. देश की आजादी के बाद RIMC देहरादून में सेना के तीनों अंगों के लिए छात्रों को प्रशिक्षित किया जाने लगा.