देहरादून: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज प्रदेशभर से आईं भोजन माताओं ने विधानसभा कूच किया. भारी पुलिस बल ने उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इससे नाराज भोजन माताओं ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके अलावा विद्यालय में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति की मांग को लेकर बीपीएड, एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन के बेरोजगारों ने अर्धनग्न होकर विधानसभा कूच किया.
भोजन माताओं की पीड़ा: भोजन माताओं का कहना है कि 18-19 वर्षों से वे सरकारी विद्यालयों में खाना बनाने का काम साफ-सफाई के साथ करती आ रही हैं. इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का काम जैसे फाइल इधर-उधर ले जाना, चाय पानी पिलाना, सवेरे स्कूल खोलना, शाम को बंद करना, स्कूलों की परीक्षाओं में ड्यूटी इत्यादि काम करवाए जाते हैं. यह सब काम उनसे मात्र ₹2000 प्रति माह में करवाए जा रहे हैं.
सरकार पर आरोप: लॉकडाउन के समय से हमसे 12 महीने काम लिया गया, लेकिन मानदेय 11 महीने का ही दिया गया है. सरकार भोजन माताओं को न्यूनतम वेतनमान देने और स्थायी करने की जगह विद्यालय से निकालने के संबंध में आदेश जारी कर रही है, जो अन्याय पूर्ण कदम है.
मानदेय बढ़ाने की मांग: भोजन माताओं का कहना है कि उनका न्यूनतम वेतन ₹18,000 प्रतिमाह किया जाए. इसके साथ ही सभी भोजन माताओं को स्थायी नियुक्ति की जाए और उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए. हर स्कूलों में 26 वें विद्यार्थी पर दूसरी भोजन माता रखी जाए. वहीं, भोजन माताओं ने ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूति अवकाश जैसी सुविधाएं दिए जाने की भी मांग की.