देहरादून: अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम के तहत उत्तराखंड राज्य सरकार अब प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर फोकस कर रही है. ताकि वहां रोजगार के अवसर पैदा हो सके, इससे वहां के पलायन को रोकने में काफी मदद मिलेगी. यही कारण है कि अब सीमावर्ती ग्रामीणों की आजीविका को विकसित करने के लिए सरकार इन क्षेत्रों में कृषि जलवायु के परिस्थितियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने जा रही है. इसी को लेकर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने मंगलवार को एक बैठक की.
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कृषि मंत्री उनियाल ने विधानसभा में प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में पलायन रोकने के लिए अन्तरराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम के सम्बन्ध में बैठक की. बैठक में तय किया गया है कि उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों की आजीविका और उनकी सुरक्षा की दृष्टि से स्थायी आजीविका विकल्प के रूप में कार्य योजना बनाई जायेगी. जिसमे क्षेत्र के उपलब्ध कृषि जलवायु के परिस्थितियों और विपणन, प्रसंस्करण से सम्बन्धित पहलुओं को ध्यान में रखा जायेगा. इस कार्य योजना में उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि, बागवानी, फसलों को बढ़ावा देने वाली संभावना का पता लगाया जायेगा. इसके अतिरिक्त अन्य आजीविका विकल्पों से सम्बन्धित रिपोर्ट भी तैयार की जायेगी.
बैठक में कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अन्तरराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम से सम्बन्धित कार्य योजना बनाकर भारत सरकार को भेजा जाए. इस सम्बन्ध में 11 ब्लॉकों का चयन किया गया है.
- पिथौरागढ़ जिले के चार ब्लॉक.
- चमोली जिले का एक ब्लॉक.
- उत्तरकाशी जिले का तीन ब्लॉक.
- उधम सिंह नगर जिले का एक ब्लॉक.
- चंपावत जिले के दो ब्लॉक.
इन क्षेत्रों में कृषि विकास का उद्देश्य अन्तरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र में समृद्धि लाकर पलायन को रोकना है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पलायन को रोकना सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. अन्तरराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम से सम्बन्धित कार्य योजना के अन्तर्गत सम्बन्धित क्षेत्र में 01 से लेकर 10 किमी. के क्षेत्रफल को शामिल किया जायेगा. इस क्षेत्र में कृषि और कृषि से सम्बन्धित व्यवसायों का विकास किया जायेगा. इस योजना को एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना से जोड़ा जायेगा. इसमें मत्स्य पालन, पशु पालन, डेयरी पालन और मधुमक्खी पालन योजना का उद्देश्य कृषकों की आय में बढ़ोतरी करना है.