देहरादून: हर कामयाब इंसान को ऊंचाई तक पहुंचाने के पीछे कई लोगों का हाथ होता है, इसमें सबसे अहम होता है उस शख्स की प्रतिभा निखारने वाले वो हाथ जो तब उसे थामते हैं जब उसका हुनर पैदाइशी दौर में होता है. आज एक ऐसे ही शख्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसका तराशा गया पत्थर आज हीरा बन गया है. हम बात कर रहे हैं बिशन आजाद की. भले ही ये नाम मशहूर नहीं लेकिन इनका तराशा और तलाशा हुआ एक हुनर आज दुनिया की म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज कर रहा है.
संगीत इंडस्ट्री का वो जाना-माना नाम है सिंगर नेहा कक्कड़, जिनकी अनोखी आवाज ही आज उनकी पहचान है. नेहा कक्कड़ के ही शुरुआती गुरू हैं बिशन आजाद, जो आज 75 साल के हो चुके हैं और वर्तमान में देहरादून के मोती बाजार के पास एक छोटे से टीन शेड में किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं.
नेहा कक्कड़ ने बॉलीवुड में कदम रखने के बाद कई हिट गाने दिए हैं. लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि जिस शख्स ने नेहा के हाथ में पहली बार माइक थमाया था वो आज किस हाल में हैं. बिशन आजाद नेहा के पहले गुरू होने के साथ जागरण सिंगर हैं. ये सभी जानते हैं कि बॉलीवुड में अपना सिक्का जमाने से पहले नेहा खुद भी जागरण सिंगर रही हैं.
7 साल की नेहा से मिले थे आजाद
ईटीवी भारत की टीम जब बिशन आजाद से मिलने पहुंची तो ये देखकर हैरान रह गई कि आखिर वो अपनी जिंदगी कैसे गुजार रहे हैं. बिशन आजाद बताते हैं कि नेहा कक्कड़ से उनकी पहली मुलाकात तब हुई थी जब वो केवल 7 साल की थीं. उनकी मुलाकात एक जागरण के दौरान ही हुई थी. ईटीवी भारत की टीम जब बिशन आजाद से मिलने पहुंची तो ये देखकर हैरान रह गई कि आखिर वो अपनी जिंदगी कैसे गुजार रहे हैं. क्योंकि नेहा को बचपन से ही गायिकी का शौक था तो उस जागरण कार्यक्रम में नेहा की मां ने ही उन्हें कहा था कि उनकी बेटी माइक पर गाना चाहती है और तब उन्होंने नेहा को माइक थमाकर जागरण के मंच पर गाने का मौका दिया.
पहली मुलाकात में ही परख लिया था 'हीरा'
बस यहीं से उन्होंने नेहा की प्रतिभा को समझ लिया था. पहली बार जब जागरण में नेहा कक्कड़ और सोनू कक्कड़ दोनों एक साथ अपने परिवार के साथ आए थे तो उनके गुरू को भी नहीं पता था कि आने वाले समय में नेहा उनका इस तरह से साथ देगी और हुआ भी यही. पहली बार जब नेहा ने बिशन आजाद के कहने पर माइक हाथ में पकड़ा उसके बाद फिर नेहा रुकी नहीं. नेहा की आवाज सुन बिशन आजाद ने उन्हें अपने जागरण टीम का हिस्सा बना लिया. उसके बाद से उनकी देखरेख में नेहा लगातार जागरण में गाती रहीं. उनके नटखटपन को देखकर लोग उनकी आवाज सुनने की ज्यादा डिमांड करने लगे और बस यहीं से शुरू हो गया नेहा के फर्श से अर्श तक का सफर.