देहरादून/ऋषिकेश: देश के कई राज्यों के साथ उत्तराखंड में भी ब्लैक फंगस के केस मिल रहे हैं, जिसने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने ब्लैक फंगस से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में स्थित दो दवा फैक्ट्रियों में जल्द ही ब्लैक फंगस दवा बनानी शुरू हो जाएगी. ये दोनों फैक्ट्रियां उत्तराखंड के साथ अन्य राज्यों को भी दवाइयों की आपूर्ति करेंगी.
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में अभीतक ब्लैक फंगस के 48 मरीज सामने आ चुके हैं, जिसमें से तीन की मौत हो चुकी है. ब्लैक फंगस को मात देने में एंटीफंगल ड्रग्स अम्फोटेरिसिन-बी कारगर बताया जा रहा है. इसका उत्पादन उत्तराखंड की दो फैक्ट्रियों में जल्द ही शुरू होने वाला है. ड्रग कंट्रोलर की टीम ने इन दोनों फैक्ट्रियों का निरीक्षण कर लिया है. स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने खुद इसकी जानकारी दी.
स्वास्थ्य सचिव नेगी ने बताया कि केंद्रीय टीम ने उत्तराखंड में दो फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया था. एक सप्ताह के भीतर केंद्र द्वारा इस ड्रग के उत्पादन की अनुमति मिल जाएगी और जल्द ही उत्तराखंड सहित आसपास के राज्यों में ब्लैक फंगस की दवाई की आपूर्ति की जाएगी.
वहीं ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में अलग से एक वार्ड स्थापित किया गया है. इसमें ब्लैक फंगस से ग्रसित रोगियों का उपचार विभिन्न विभागों के 15 विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में किया जाएगा.
ब्लैक फंगस से डरें नहीं, सावधान रहें
निदेशक एम्स ऋषिकेश प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) एक घातक एंजियोइनवेसिव फंगल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से नाक के माध्यम से हमारी श्वास नली में प्रवेश करता है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि समय पर इलाज शुरू करने की आवश्यकता है.