देहरादूनःउत्तराखंड में इगास पर्व (Igas Festival in Uttarakhand) को लेकर अनिल बलूनी की मुहिम को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने सराहा है. उनका कहना है कि सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर इगास पर्व के मौके पर छुट्टी का ऐलान किया है, जो काफी काबिले तारीफ है. बीजेपी इगास पर्व को भव्य और दिव्य बनाने का प्रयास कर रही है. युवा पीढ़ी भी अपने पारंपरिक पर्वों को लेकर उत्साह और रुचि देखा रही है. ऐसे में वो इगास पर्व पर पारंपरिक छुट्टी की मांग करेंगे.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट (BJP State President Mahendra Bhatt) का कहना है कि इगास गढ़वाल का पारंपरिक त्यौहार है. उत्तराखंड के लोक पर्वों, त्यौहारों से प्रवासियों को जोड़ने के उद्देश्य से अनिल बलूनी (Mahendra Bhatt Praises Anil Baluni for Igas) लगातार प्रयास कर रहे हैं. अनिल बलूनी ने इगास से प्रवासियों को जोड़ने की मुहिम शुरू की थी. उनकी यह मुहिम रंग लाई है. उनकी सरकार से अपेक्षा है कि हर साल इगास पर्व पर राजकीय अवकाश घोषित किया जाए. उन्होंने कहा कि वो इस बात की मांग सरकार से भी करेंगे कि अब पारंपरिक रूप से हर साल के लिए इगास पर्व की छुट्टी का ऐलान कर दिया जाए.
क्या है इगास पर्वःउत्तराखंड में बग्वाल या इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है. शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत या खलिहान में भैलो खेला जाता है. भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है. इगास पर पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता है.
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दिवाली के 11वें दिन इसलिए मनाई जाती है इगासः एक मान्यता ये भी है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था, लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी, इसलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया था.