उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Year Ender 2021: उत्तराखंड में 4 महीने में बने 3 CM, चौथी विधानसभा ने खोए 6 MLA

साल 2021 में उत्तराखंड BJP ने दो बार मुख्यमंत्री बदले. इसके साथ ही 2017 की चतुर्थ विधानसभा में निर्वाचित 70 में से 6 विधायक खोए. इनमें 5 सत्ताधारी भाजपा और एक कांग्रेस के विधायक शामिल हैं. इस दौरान प्रदेश में तीन सीटों पर उपचुनाव हुए और तीन सीटें रिक्त हैं.

Uttarakhand Year Ender
उत्तराखंड ईयर एंडर

By

Published : Dec 21, 2021, 7:12 AM IST

देहरादून: साल 2021 में उत्तराखंड में राजनीतिक उठा-पटक देखने को मिली. भारतीय जनता पार्टी ने तीन राज्यों कर्नाटक, गुजरात और उत्तराखंड में अपने मुख्यमंत्रियों को बदल दिया. उत्तराखंड में तो पार्टी को इस साल 2 बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा और तीसरे को कुर्सी पर बिठाना पड़ा. जब ये साल खत्म हो रहा है और 2022 में हम प्रवेश करने वाले हैं तो एक बार फिर बड़ी राजनीतिक घटनाओं से आपको अवगत कराते हैं.

चार महीने में तीन सीएम: दूसरे राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड की स्थिति और भी अलग रही. यहां चुनाव से पहले एक साल के अंदर 2 बार मुख्यमंत्री बदले गए. तीसरे मुख्यमंत्री को कुर्सी सौंपी गई. मार्च 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. इसके बाद जुलाई में उन्हें हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री चुना गया. हालांकि तीरथ सिंह रावत को हटाने के पीछे तर्क दिया गया कि उन्हें 6 महीने के अंदर विधानसभा जाने के लिए चुनाव लड़ना था, लेकिन जब 2022 की शुरुआत में चुनाव होने हैं तो ऐसे में राज्य में उपचुनाव नहीं होने थे. इसी संवैधानिक संकट के चलते तीरथ सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.

इन विधायकों का हुआ निधन.

उत्तराखंड की चौथी विधानसभा ने खोए 6 विधायक: उत्तराखंड में मार्च 2022 तक नई विधानसभा का गठन हो जाएगा. जिसमें 70 नए सदस्य निर्वाचित होकर आएंगे. लेकिन 2017 की चतुर्थ विधानसभा में निर्वाचित 70 में से 6 विधायक खोए. इनमें 5 सत्ताधारी भाजपा और एक कांग्रेस के विधायक शामिल हैं. सभी विधायक अपने कार्यकाल के अनुभवी चेहरे रहे हैं, इनमें से 3 विधायकों प्रकाश पंत, इंदिरा हृदयेश और हरबंस कपूर ने प्रदेश की सियासत में कई अहम जिम्‍मेदारियां निभाई हैं.

ये भी पढ़ें: राहुल गांधी उत्तराखंड कांग्रेस से चाहें जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवार, जानिए इसका मतलब

मगनलाल शाह का निधन: आखिरी साल में 3 विधायकों के निधन से पहले विधानसभा के गठन के एक साल के भीतर भाजपा ने थराली से विधायक मगनलाल शाह को खोया. मगनलाल शाह के निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी मुन्नी देवी को टिकट दिया और वे विधायक चुनी गईं.

प्रकाश पंत का निधन: इसके बाद 2017 में मुख्यमंत्री के दावेदार और भाजपा के सबसे बड़े चेहरे कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत का निधन हो गया. ये बीजेपी के लिए बड़ा झटका था. प्रकाश पंत की जगह उनकी पत्नी चंद्रा पंत को टिकट मिला और उन्होंने अप​ने पति की विरासत को संभाला.

सुरेंद्र जीना और गोपाल रावत का निधन: इसके बाद कोरोना में वर्ष 2020 में सल्ट से भाजपा विधायक सुरेंद्र जीना का निधन हो गया. सुरेंद्र जीना की जगह उनके भाई महेश जीना विधायक चुनकर आए. चुनावी साल से ठीक पहले ​​​अप्रैल में गंगोत्री से भाजपा विधायक गोपाल रावत का भी निधन हो गया. लेकिन एक साल कम रहने के कारण गंगोत्री सीट पर उपचुनाव नहीं हुआ.

इंदिरा हृदयेश का निधन:जून में हल्द्वानी विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश का निधन हो गया. ये कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी क्षति मानी जाती है. यहां भी उपचुनाव नहीं हुआ.

हरबंस कपूर का निधन:नवंबर में चतुर्थ विधानसभा का आखिरी सत्र आयोजित हुआ और सत्र समाप्त होते ही देहरादून कैंट से विधायक हरबंस कपूर का निधन हो गया. हरबंस कपूर आखिरी सत्र में विधायकों की यादगार के लिए ली गई तस्‍वीर में शामिल हुए. जो उनके परिजनों के लिए भी यादगार बन गई.

ये भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर क्या सोचता है उत्तराखंड, क्या है जनता का मूड ?

3 सीटों पर उपचुनाव और 3 ​सीट रिक्त: 2017 से 2022 के बीच जिन विधायकों का निधन हुआ, सभी अपने क्षेत्रों में खासा प्रभाव रखते थे. इनमें 3 कद्दावर नेता भी थे, जिन्होंने उत्तराखंड की सियासत में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली और विकास के रोडमैप रखे. प्रकाश पंत और इंदिरा हृदयेश दोनों ने अपने-अपने कार्यकाल में वित्त जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाली. जबकि हरबंस कपूर ने शहरी विकास, विधानसभा अध्यक्ष और 8 बार विधायक का अनोखा रिकॉर्ड भी कायम किया. तीनों विधायक उत्तर प्रदेश के समय से राजनीति करते आ रहे थे, जो कि ​उत्तराखंड की सियासत में बड़ा कद रखते थे. इस तरह 2022 के ​चुनाव में इन विधायकों को खोने का पार्टी ही नहीं उत्तराखंड को भी बड़ा झटका माना जा रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details