सवाल:अयोध्या में कैसा माहौल है. संत और लोग कैसा महसूस कर रहे हैं.
जवाब:बहुत अच्छा वातावरण है. पूरे अयोध्या में उत्साह है. साधु-संत उत्साहित हैं. पूरे अयोध्या में पुताई हो रही है. दीपावली का उत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है. 5 तारीख को पूरे तरीके से दीपावली मनाई जाएगी. केसरिया रंग से अयोध्या सजेगा. पताका-झालर लगाए जा रहे हैं. लाइट जलाई जा रही है.
सवाल: अयोध्या में नए उत्साह का सृजन हो रहा है. आपने इसके लिए 90 के दशक में सड़कों पर संघर्ष किया है. 25-30 साल के आंदोलन के बाद कार्यकर्ता के तौर पर अनुभव कैसा रहा.
जवाब:अनुभव बहुत अच्छा था. उत्साह का वातावरण था. लाठी-गोली खाने के बाद भी उत्साह में कमी नहीं आई. आदरणीय मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे, कारसेवकों के ऊपर गोली चलाई गई थी. बहुत सारे कारसेवकों की उसी स्थान पर मौत हो गई थी. सरयू नदी रक्तरंजित हो गई. खून से नालियां भर गईं. ऐसा होने के बाद क्षणिक दुख हुआ कि कई कारसेवक शहीद हो गए. कोलकाता के रहने वाले दो सगे भाई कोठारी बंधु की मौत हो गई. इसके बाद भी मुलायम सिंह आंदोलन नहीं रोक सके. उनको समझौता करना पड़ा. सबको रामजन्मभूमि का दर्शन कराया. मगर मुलायम सिंह जी हमेशा इतिहास में हत्यारे के रूप में याद किए जाएंगे. रामभक्तों पर गोलियां चलाईं. इसलिए वह ऐसे रूप में याद किए जाएंगे.
सवाल: बजरंग दल की स्थापना का मकसद क्या पूरा हो रहा है.
जवाब: बजरंग दल की स्थापना मैंने राम मंदिर के लिए की थी. इसकी स्थापना काशी विश्वनाथ और मथुरा की मुक्ति के लिए भी की गई थी. तीनों स्थान मुक्त होने चाहिए. यह हमारा संकल्प है. अभी अयोध्या मुक्त हुआ है. काशी मथुरा बाकी है. अभी इस पर कार्यक्रम तय होने हैं, उस पर मैं बाद में बात करूंगा. अभी यह कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री 5 तारीख को बड़े महत्व का काम करने के लिए अयोध्या आ रहे हैं. भूमि पूजन के लिए अयोध्या आ रहे हैं. जब तक मंदिर रहेगा, नरेंद्र मोदी अमर रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक जुझारू नेता हैं. एक शेर की भांति चलते हैं. कई लोग भूमि पूजन में नरेंद्र मोदी के शामिल होने की आलोचना कर रहे हैं. देहात की एक कहावत है कि जब हाथी गांव में चलता है, कुत्ते भौंकते हैं. अभी प्रधानमंत्री आ रहे हैं तो विपक्ष बोल रहा है. उनके विरोध से हमें लाभ होगा. राम मंदिर पूरी तरह तैयार हो जाएगा. सबकी मंशा है कि राम मंदिर बने और भव्य राम मंदिर बनेगा.
सवाल: उमा भारती और कल्याण सिंह भी मानते हैं कि काशी-मथुरा का मसला अयोध्या से भिन्न है. अयोध्या और काशी-मथुरा में क्या फर्क है.
जवाब: अयोध्या में खंडहर खड़ा था. यहां नए सिरे से मंदिर बनाना था. काशी-मथुरा में मंदिर है. यह बात सही है. मगर मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह मस्जिद में है, वह मुक्त होनी चाहिए. वहां मंदिर नहीं बनेगा मगर कृष्ण की जन्मभूमि मुक्त होनी चाहिए. काशी में भी बाबा विश्वनाथ को बगल के खंडहर से बाहर निकालना है. हम मुक्ति का अभियान शुरू करेंगे. सबसे विचार-विमर्श करते हुए हम इस पर काम करेंगे. जब राम मंदिर के लिए काम शुरू किया था तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शक्ति हमारे साथ थी. अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, परमहंस रामचंद्र दास और दाउद दयाल खन्ना जैसे नेतृत्व के कारण आंदोलन अंजाम तक पहुंचा है.