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कुमाऊं से मिशन-2022 का समीकरण साधेगी BJP, हरदा बने बड़ी वजह

भाजपा ने अभी से गढ़वाल और कुमाऊं के समीकरण साधने शुरू कर दिये हैं. जिसमें फिलहाल पार्टी कुमाऊं पर ज्यादा फोकस करती दिखाई दे रही है. सियासी जानकारी हरीश रावत को इसकी एक बड़ी वजह मान रहे हैं.

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कुमाऊं से 2022 विस. समीकरण साधने की BJP ने की तैयारी

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Published : Jul 11, 2021, 7:08 PM IST

Updated : Jul 11, 2021, 7:58 PM IST

देहरादून: आगामी 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दल अभी से चुनावी रणनीति बनाने में जुट गये हैं. प्रदेश में हाल ही में हुआ नेतृत्व परिवर्तन इसका ताजा उदाहरण है. जहां 2022 के समीकरणों को ध्यान में रखकर बीजेपी ने पहला दांव खेला है. आगामी 2022 विस. चुनाव के दृष्टिकोण से देखें तो भाजपा ने अपना पूरा फोकस कुमाऊं पर केंद्रित कर दिया है. जिसके पीछे हरीश रावत एक बड़ी वजह बताए जा रहे हैं.

प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सियासी दलों ने सियासी बिसात बिछाने की तैयारी शुरुआत कर दी है. भाजपा के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को देखें तो उत्तराखंड में भाजपा पूरी तरह से कुमाऊं पर केंद्रित दिखती है. मुख्यमंत्री का कुमाऊं से होना, कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या और केंद्रीय कैबिनेट में भी गढ़वाल के बड़े चेहरे को हटाकर कुमाऊं से आने वाले अजय भट्ट को शामिल करना इस तरफ साफ इशारा करता है.

कुमाऊं से मिशन-2022 का समीकरण साधेगी BJP

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भाजपा में गढ़वाल के नजरिये से देखा जाये तो उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग पूरी तरह से नजरअंदाज किये गये हैं. वहीं, टिहरी से केवल सुबोध उनियाल, देहरादून से गणेश जोशी, जो कि मूल रूप से कुमाऊंनी ही माने जाते हैं, हरिद्वार से यतीश्वरानंद मंत्रिमंडल में शामिल हैं. भले ही प्रदेश भाजपा की कमान गढ़वाल मंडल से आने वाले मदन कौशिक संभाल रहे हैं. फिर भी इस समय पावर कुमाऊं की ओर शिफ्ट होती दिख रही है.

पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने तराई से लेकर पहाड़ तक के मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. इसके साथ ही कुमाऊं और गढ़वाल के बीच बैलेंस बनाने में भी पार्टी कामयाब रही. पिछले साढ़े तीन माह से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों गढ़वाल से ही थे. कुमाऊं के भाजपा कार्यकर्ता दोनों पदों में से किसी एक पर कुमाऊं के व्यक्ति को मौका देने की मांग कर रहे थे. हालांकि विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले यह दायित्व पुष्कर सिंह धामी को दिया गया है. धामी को सीएम बनाकर बीजेपी ने कुमाऊं की 29 सीटों को साधने की कोशिश भी की है.

वहीं, मोदी मंत्रीमंडल में नैनीताल- यूएसनगर के सांसद अजय भट्ट को शामिल कर, भाजपा आलाकमान ने कुमांऊ मंडल को लेकर अपनी रणनीति साफ कर दी है. इसे विधानसभा चुनाव से पहले कुमांऊ मंडल में पार्टी की किलेबंदी को मजबूत करने के रूप में भी देखा जा रहा है. राजनीतिक जानकार इसकी एक और वजह कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को भी मान रहे हैं.

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साफ है कि आने वाले विस. चुनाव में हरीश रावत भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती होंगे. जिसकी काट उन्होंने अभी से निकालनी शुरू कर दी है. भाजपा के लोगों का कहना है कि हरीश रावत के लिए उनके युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी तुरुप का इक्का साबित होंगे. उनका युवा होने से पार्टी को फायदा मिलेगा. इस बात का जिक्र खुद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी कर चुके हैं. भाजपा प्रवक्ता विनोद सुयाल का कहना है कि उत्तराखंड भाजपा की एक लंबी चौड़ी फेहरिस्त है जो कि कांग्रेस और हरीश रावत को जवाब देने के लिए काफी है.

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वहीं, इस बारे में कांग्रेस का कहना है कि पुष्कर धामी अगर युवा और हरीश रावत का सामना करने वाले नेता थे तो भाजपा ने 4 सालों तक इंतजार क्यों किया? कांग्रेस प्रवक्ता आरपी रतूड़ी ने कहा कांग्रेस इस तरह की विचारधारा से प्रेरित नहीं होती, जिसमें कुमाऊं और गढ़वाल अलग-अलग हो. उन्होंने कहा भाजपा केवल चुनाव जीतने के लिए ही इस तरह की रणनीति अपनाती है. जिससे क्षेत्रों के साथ-साथ विकास को भी बांटा जाता है.

Last Updated : Jul 11, 2021, 7:58 PM IST

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