सांसदों की जिम्मेदारी पर सियासत देहरादूनःआगामी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बीजेपी अभी से दमखम से तैयारी में जुट गई है. बीजेपी की तैयारी इस वजह से भी दिखाई दे रही है, क्योंकि संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारी न सिर्फ राज्यों का दौरा कर रहे हैं. बल्कि, प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर मूलमंत्र भी दे रहे हैं. इसी कड़ी में दो दिवसीय उत्तराखंड प्रवास पर आए बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने न सिर्फ प्रदेश पदाधिकारी के साथ बैठक की, बल्कि एक बड़ा मूल मंत्र '75 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड' दे गए.
विधानसभा चुनाव 2022 में 23 सीटें हारी थी बीजेपीःऐसे में प्रदेश संगठन इस मूलमंत्र के लक्ष्य को पूरा करने की जुगत में जुट गया है. दरअसल, कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रदेश संगठन ने सांसदों को जिम्मेदारी सौंपी है. जिसमें प्रदेश के पांचों लोकसभा और तीनों राज्यसभा सांसद शामिल हैं. साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के खाते में 47 सीटें आई थी. जबकि, 23 सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में हारी हुई विधानसभा सीटों पर बीजेपी की पकड़ को मजबूत बनाने के लिए ही सांसदों को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कुछ सांसदों के कट सकते हैं टिकटःआगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की ओर से सांसदों को दी गई जिम्मेदारी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल, चर्चाएं चल रही हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में कुछ सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं. यही वजह है कि बीजेपी संगठन इन सभी सांसदों के परफॉर्मेंस और उनके संसदीय क्षेत्र में मौजूद विधानसभा क्षेत्र में उनकी पकड़ को जानने की कोशिश भी कर सकती है. बहरहाल, सांसदों को जिम्मेदारी दिए जाने के बाद यह जरूर कह सकते हैं कि बीजेपी संगठन ने जो 75 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड का लक्ष्य रखा है, उसे यही सांसद ही साकार करेंगे.
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भले ही बीजेपी ने 75 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड का लक्ष्य रखा हो, लेकिन इसे पूरा करना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. क्योंकि, साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 44.33 फीसदी वोट मिले थे. जबकि साल 2017 में 46.50 फीसदी वोट मिले थे. यानी करीब 2.17 फीसदी वोट की गिरावट हुई है. जबकि, साल 2022 में कांग्रेस को 37.91 फीसदी वोट मिले थे. जबकि, साल 2017 में 33.52 फीसदी वोट मिले थे. यानी करीब 4.39 फीसदी वोट में इजाफा हुआ है. यही वजह है कि बीजेपी के लिए 75 फीसदी वोट हासिल करना एक बड़ी चुनौती है.
सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और तीरथ सिंह रावत की जिम्मेदारी सांसदों को मिली जिम्मेदारीःसांसद रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार ग्रामीण, ज्वालापुर, खानपुर की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि, सांसद तीरथ सिंह रावत को बदरीनाथ और द्वाराहाट की जिम्मेदारी मिली है. वहीं, सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह को यमुनोत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उधर, सांसद अजय टम्टा को लोहाघाट, धारचूला, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह और अजय टम्टा की जिम्मेदारी सांसद अजय भट्ट को खटीमा, नानकमत्ता, किच्छा की जिम्मेदारी सौंपी गई है. राज्य सभा सांसद नरेश बंसल को मंगलौर, भगवानपुर, पिरान कलियर, बाजपुर की जिम्मेदारी मिली है. राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी को प्रतापनगर, चकराता, हल्द्वानी की जिम्मेदारी सौंपी गई. जबकि, राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी को लक्सर, झबरेड़ा, जसपुर की जिम्मेदारी मिली है.
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क्या बोले महेंद्र भट्टःउत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में 23 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को हार मिली, उन सीटों को मजबूत किए जाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में ये सभी सांसद कार्यकर्ताओं के सुझाव, कार्यकर्ताओं की समस्याएं और संगठनात्मक सुझाव क्या-क्या हो सकते हैं? इसके लिए सांसदों का बूथ स्तर तक के प्रवास का कार्यक्रम लगाया जाएगा.
सांसद अजय भट्ट और नरेश बंसल की जिम्मेदारी कांग्रेस बोली- बीजेपी को सांसदों का देना है रिपोर्ट कार्ड, घबराहट में पार्टीःउधर, बीजेपी के सांसदों को विधानसभाओं की जिम्मेदारी दिए जाने के सवाल पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि बीजेपी घबराहट में सांसदों को विधानसभाओं की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन बीजेपी को उनके सांसदों का रिपोर्ट कार्ड देना पड़ेगा. संसद भवन में उत्तराखंड के सांसदों ने कितने सवाल उठाएं और कितने नए प्रोजेक्ट प्रदेश के लिए लेकर आए. इसका जवाब बीजेपी को देना पड़ेगा. लिहाजा, अपने पांचों सांसदों को लेकर बीजेपी और सरकार दोनों घबराहट में है.
राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी और कल्पना सैनी की जिम्मेदारी उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश में लगातार तीसरी बार पांचों लोकसभा सीटों पर अपना परचम लहराना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी ने अभी से ही रणनीतियों पर काम करने शुरू कर दी है. इसकी शुरुआत बीजेपी ने हारी हुई विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सांसदों को देकर की है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही है कि राष्ट्रीय संगठन ने जो '75 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड' का लक्ष्य रखा है, उसको यह सांसद पूरा कर पाएंगे या फिर बीजेपी फिर से इन हारी विधानसभा सीटों के लिए नई योजना तैयार करेगी. ये देखने वाली बात होगी.