देहरादून:आखिरकार काफी सालों के इंतजार के बाद सांसद अजय भट्ट को उनकी मुराद मिल गई है. मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट से सांसद अजय भट्ट को केंद्र में रक्षा मंत्रालय और पर्यटन में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. उत्तराखंड से भट्ट इकलौता चेहरा हैं जो केंद्र में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उनसे पहले रमेश पोखरियाल निशंक को केंद्रीय शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वो पद पर नहीं रह सके.
हाल ही के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो साफ देखा जा रहा है कि बीजेपी कुमाऊं मंडल को साधने की कोशिश में है. पहले कुमाऊं से क्षत्रिय मुख्यमंत्री धामी और अब ब्राह्मण अजय भट्ट को केंद्र में राज्य मंत्री का जिम्मा दिया गया है. वर्तमान में बीजेपी कुमाऊं की 23 और गढ़वाल की 33 सीटों पर काबिज है. आगामी 2022 के चुनाव में बीजेपी की कोशिश है कि 60 प्लस सीटें जीती जाएं और इसलिए भी बीजेपी चुनावी साल में ऐसे फैसले ले रही है.
हालांकि, भट्ट के चुनाव के पीछे उनकी सक्रियता भी रही है. सांसद बनने के बाद से ही अजय भट्ट समय-समय पर प्रदेश से जुड़े मुद्दे संसद में उठाते रहे हैं. इनमें पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन, नेटवर्किंग, गुरुद्वारा क्षेत्र को विकसित करने, जमरानी बांध, काशीपुर फ्लाईओवर निर्माण में देरी सहित कई मुद्दे शामिल हैं. सांसद कोरोना काल में भी बेहद सक्रियता से काम करते रहे, जिससे उनको रिपोर्ट कार्ड में अच्छे नंबर मिले हैं.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तत्कालीन सांसद भगत सिंह कोश्यारी की जगह तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट से मैदान में उतारा था. जब भट्ट को पार्टी ने प्रत्याशी चुना एक सवाल जो सबके जेहन में उठा कि क्या अजय भट्ट इस बार खुद से जुड़ा मिथक तोड़ पाएंगे.
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इस बात में कोई शक नहीं था कि तब उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे अजय भट्ट संगठन के लिए पूरी तरह से समर्पित रहे, लेकिन उनके साथ जुड़ा एक मिथक लगातार उनकी परेशानी बढ़ाता जा रहा था. दरअसल, राज्य बनने के बाद सभी चुनाव परिणामों में देखा गया कि जिस भी चुनाव को अजय भट्ट जीते हैं, उस चुनाव में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाती है. इसके उलट जब-जब अजय भट्ट चुनाव हारे हैं तो बीजेपी की सरकार बनी है. बार-बार हुए इस घटनाक्रम के चलते अजय भट्ट के साथ यह मिथक जुड़ गया था.
राज्य बनने के बाद पहली बार साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते भी लेकिन राज्य में सरकार कांग्रेस की बनी और नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने. इसके बाद हुए 2007 के विधानसभा चुनाव में रानीखेत विधानसभा से अजय भट्ट चुनाव हार गए लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और पहले बीजेपी के भुवनचंद्र खंडूड़ी और बाद में रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने. इसी तरह से 2012 में भी रानीखेत से अजय भट्ट ने विधानसभा चुनाव तो जीता लेकिन प्रदेश में सरकार इस बार कांग्रेस की बनी और पहले विजय बहुगुणा और बाद में हरीश रावत मुख्यमंत्री बने.