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बीजेपी के 'मिशन-400' के लिए उत्तराखंड में भी तेज हुई तैयारियां, सभी सांसदों को सौंपी गई जिम्मेदारी,  सता रहा ये डर - लोकसभा चुनाव में फतह

साल 2024 के लोकसभा चुनाव लिए बीजेपी ने मिशन 400 का लक्ष्य रखा है. यानी बीजेपी को लोकसभा में 400 से ज्यादा सीटें जीतनी है, जिसको लेकर उत्तराखंड में भी बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है. यही वजह है कि सभी सांसदों को पेंच कस दिए गए हैं. इतना ही नहीं उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपते हुए एक्टिव मोड में रहने को कहा गया है. उधर, भले ही संगठन ने सांसदों को विभिन्न कार्यक्रमों में व्यस्त रखने का प्लान बनाया हो, लेकिन सियासी गलियारों में टिकट कटने की सुगबुगाहट से सांसदों नींद भी उड़ी हुई है.

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Published : Apr 13, 2023, 4:50 PM IST

Updated : Apr 13, 2023, 6:37 PM IST

उत्तराखंड में BJP का 'मिशन-400'

देहरादूनःआगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अभी से कसरत कर रही है. बीजेपी की मिशन 400 में उत्तराखंड की 5 सीटें काफी अहम स्थान रखती है. ऐसे में बीजेपी क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अपने सांसदों को एक्टिव मोड में लाने के लिए जान फूंक रही है. यही वजह है कि बीजेपी प्रदेश प्रभारी उत्तराखंड में डटे हुए हैं. ऐसे में प्रभारी के हर एक राजनीतिक चहलकदमी से यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सारी सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी इन सीटों को हल्के में नहीं ले रही है. भले ही लगातार दो बार बीजेपी लोकसभा चुनाव में फतह हासिल हुई हो, लेकिन एक बार फिर से पांचों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है.

हाल ही में बीजेपी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को एक्टिव मोड में रहने के सख्त निर्देश दिए हैं. बीते दिनों मुख्यमंत्री आवास में बैठक में संगठन ने उत्तराखंड के सभी सांसदों के आगामी चुनाव को लेकर पेंच कस दिए. इसके अलावा सांसदों को कुछ सख्त निर्देश भी दिए गए हैं. मसलन, जिन बूथों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पकड़ कमजोर थी, उन बूथों पर सांसदों को पकड़ मजबूत करने को कहा गया है. लिहाजा, वहां लगातार दौरे करने के लिए सांसदों को कहा गया है. संगठन ने ये भी तय कर लिया है कि सांसदों को अब लगातार उनकी लोकसभा में व्यस्त रखा जाए.

इसके सुपरविजन के लिए संगठन की ओर से अलग से पदाधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी. वहीं, बीजेपी संगठन के रूटीन कार्यक्रमों में अंबेडकर जयंती और पीएम मोदी मन की बात के आगामी एपिसोड को लेकर भी सांसदों के कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई है. 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के दिन एक तरफ शक्ति केंद्रों और बूथ स्तर के कार्यक्रम में सांसद मौजूद रहेंगे तो वहीं मन की बात कार्यक्रम के लिए पार्टी ने बड़े स्तर पर सभी समुदायों को एक साथ जोड़ने की रणनीति बनाई है.
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इसके तहत हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की जिम्मेदारी संतों के साथ मन की बात सुनने में लगाई गई है. जबकि, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट को उधमसिंह नगर में जनजाति समुदाय के लोगों के साथ मन की बात सुनने को कहा गया है. वहीं, पौड़ी से सांसद तीरथ सिंह रावत को कहा गया है कि वो पूर्व सैनिकों के साथ मन की बात सुनेंगे. उधर, सांसद अजय टम्टा, टम्टा समुदाय या फिर जनजाति समाज, पिछड़े वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़कर मन की बात सुनेंगे. इसके अलावा कई मंत्रियों की ड्यूटी भी पार्टी ने मुस्लिम, जैन और अलग-अलग समुदाय के लोगों के साथ मन की बात को सुनने के लिए लगाई है. मकसद यही है कि पार्टी का जनाधार सभी वर्गों में मन की बात कार्यक्रम के जरिए बढ़े.

परफॉर्मेंस नहीं सुधरी तो लटकेगी टिकट कटने की तलवारःजहां एक तरफ पार्टी ने सभी सांसदों को संगठन के अलग-अलग कार्यक्रमों में व्यस्त करने का बड़ा प्लान बनाया है तो वहीं कई सियासी गलियारों में टिकट कटने की चर्चाओं ने सांसदों की अलग नींद उड़ाई हुई है. चर्चाओं का बाजार गर्म है कि कई सांसदों के टिकट इस बार पार्टी काट सकती है. हालांकि, इस पर आधिकारिक तौर पर किसी संगठन के पदाधिकारी का अब तक कुछ भी बयान सामने नहीं आया है.

बीजेपी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम का कहना है कि पार्टी अभी संगठन की मजबूती पर फोकस कर रही है. जब चुनाव आएंगे तो टिकट बांटने सारे पैरामीटर चेक होंगे और उस समय उसी आधार पर सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट बंटवारा किया जाएगा. बहरहाल, लोकसभा चुनाव को लेकर एक तरफ जहां पार्टी ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है तो वहीं दूसरी तरफ हालातों ने सांसदों की भी धड़कने बढ़ा दी है.

Last Updated : Apr 13, 2023, 6:37 PM IST

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