देहरादून:उत्तराखंड में चुनावी शोर थम चुका है. चुनाव-प्रचार के आखिरी दिन सभी पार्टियों ने दिग्गजों ने वोटरों को लुभाने के लिए खूब पसीना बहाया. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले ही यह लगने लगा था कि भाजपा का ज्यादा फोकस इस बार कुमाऊं मंडल पर ही रहेगा, लिहाजा भाजपा की रणनीति से लेकर चुनावी प्रचार तक में कुमाऊं की सीटों पर पार्टी का फोकस दिखाई दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन रुद्रपुर में जनसभा को संबोधित किया. यह प्रधानमंत्री का उत्तराखंड में प्रचार के लिए तीसरा दिन था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अल्मोड़ा में लोगों को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे, जबकि गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीनगर में भी रैली की थी. चुनाव से ठीक पहले जनसभाओं में एक जनसभा गढ़वाल तो दो जनसभा कुमाऊं में की गई. यह स्थिति तब है जब उत्तराखंड में 70 विधानसभाओं में से 41 विधानसभा गढ़वाल मंडल में हैंं. जबकि 29 विधानसभा में कुमाऊं मंडल में हैं. पीएम मोदी की कुमाऊं में 2 जनसभाएं एक इत्तेफाक नहीं हैं, बल्कि भाजपा की सोची समझी रणनीति के तहत कुमाऊं पर किए जा रहे फोकस का नतीजा है.
उत्तराखंड भाजपा का कुमाऊं में दिख रहा फोकस. पढ़ें-उत्तराखंड में थम गया चुनावी शोर, आखिरी दिन दिग्गजों ने खूब बहाया पसीना, जमकर हुए कटाक्ष
इसके अलावा भी भाजपा ने कुमाऊं में अपने स्टार प्रचारकों की पूरी फौज उतार दी. इसमें गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ स्मृति ईरानी और तमाम दूसरे दिग्गज भी कुमाऊं में सक्रिय दिखे. हालांकि भाजपा के स्टार प्रचारक गढ़वाल में भी पूरी ताकत दिखाते हुए नजर आए, लेकिन कुमाऊं को लेकर कुछ ज्यादा मेहनत करती हुई भाजपा नजर आई. हालांकि भाजपा इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती और वह मानती है कि प्रदेश में सभी क्षेत्रों और विधानसभाओं पर बराबर मेहनत की जा रही है और स्टार प्रचारक भी सभी जगह रणनीति के तहत प्रचार में जुटे हैं.
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प्रदेश में हो रहे चुनाव को लेकर गढ़वाल मंडल में सबसे ज्यादा सीटें हैं कुमाऊं मंडल में उससे थोड़ा कम, माना जा रहा है कि इस बार भाजपा खुद को कुमाऊं मंडल में कुछ कमजोर महसूस कर रही है. कुमाऊं में भाजपा की कमजोर पकड़ का ही नतीजा है कि पार्टी ने चुनाव आते आते कुमाऊं से ही मुख्यमंत्री का चेहरा राज्य को दे दिया. भाजपा ने दूसरी तवज्जो मैदानी जिलों को देते हुए प्रदेश में पहली बार प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मैदानी जिले हरिद्वार से मदन कौशिक को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी. साफ है कि पार्टी को कुमाऊं मंडल में कमजोर पकड़ और मैदानी जिलों में किसान आंदोलन का डर काफी ज्यादा सता रहा है और इसलिए पार्टी मैदानों के साथ कुमाऊं मंडल पर ज्यादा फोकस किए हुए है. कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी भी कुछ इसी तरह से भाजपा के डर को अपने बयानों में बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने पांच सालों में राज्य में कोई कार्य नहीं किया और भाजपा अपनी हार से डर रही है. इसलिए भाजपा फोकस कुमाऊं में कर रही है.