देहरादून: उत्तराखंड में रोजगार को लेकर भाजपा के वादे को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार भी पूरा नहीं कर पाए. राज्य में जहां बेरोजगारी बढ़ी है, वहीं, इसको लेकर यहां की स्थिति और भी बिगड़ती जा रही है. ऐसे में युवाओं का पलायन भी लगातार बढ़ता जा रहा है. बेरोजगार युवाओं का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार साल 2019 के खत्म होने तक रोजगार को लेकर घोषणा पत्र को धरातल तक पहुंचाने में नाकाम साबित हुई है.
भाजपा के दावे इस साल भी हुए फेल वैसे तो पूरा देश ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे इस राज्य में बेरोजगारी राष्ट्रीय समस्या का भी विषय है. यहां से पलायन के आंकड़े की अगर बात करें तो रोजगार के अभाव में ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. बेरोजगारी के आंकड़े ये बताते हैं कि उत्तराखंड के रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 7,31,000 आंकी गई है. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकता है.
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जानकारी के अनुसार सेवायोजन विभाग, राज्य बनने के बाद से अब तक महज करीब 25,000 लोगों को ही रोजगार मुहैया करा सका है, जबकि वर्तमान में बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. पिछले साल आई अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 17.4 फीसदी शिक्षित युवा बेरोजगार हैं. चिंता का विषय ये है कि उत्तराखंड में करीब सरकारी विभागों में लगभग 24,000 पद खाली हैं. वहीं, भाजपा ने सरकार बनने के बाद 6 महीने के भीतर ही इन खाली पदों को भरने का वादा किया था. जो कि अभी तक नहीं भरे जा सके हैं.
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वहीं, राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान खाली पड़े सरकारी पदों की संख्या करीब 50 हजार के आस-पास बताई गई थी जो कि अब वर्तमान में इन खाली पदों की संख्या करीब 24,000 बताई जा रही है. हैरानी की बात ये है कि, भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार 6 महीने तो दूर अपने तीन साल पूरे कर लेने के बावजूद भी अपने वादे को पूरा नहीं कर पाई है.