देहरादूनः उत्तराखंड में जिन नेताओं के इर्द-गिर्द भाजपा की राजनीति घूमा करती थी, जिन नेताओं के बयानों से राज्य में राजनीतिक हलचल पैदा हो जाती थी, जो नेता उत्तराखंड की राजनीति में सत्ता या विपक्ष का केंद्र बिंदु हुआ करते थे, वह नेता बीते लंबे समय से खामोश हैं. जानकारों का तो यहां तक कहना है कि अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह नेता खुद खामोश है या इन्हें खामोश किया गया (Leader silent in front of CM Pushkar Singh Dhami) है. राज्य की राजनीति में चाहे वह सत्ता पक्ष या विपक्ष ऐसे कई नेता हैं जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आने के बाद अब चर्चाओं में नहीं हैं.
सुबोध उनियाल खुलकर नहीं कर पा रहे बेटिंगः उत्तराखंड में सरकार भले ही कांग्रेस की रही हो या भाजपा की. जिस भी सरकार में सुबोध उनियाल (SUBODH UNIYAL) रहे, वहां वह उन नेताओं में शुमार थे जो ना केवल डंके की चोट पर ही नहीं, बल्कि सही को सही और गलत को गलत कहकर अपनी बात रखते थे. इतना ही नहीं, पूर्व में उनके पास जो भी विभाग रहे, वह बड़े महत्वपूर्ण रहे. उनका अनुभव उन विभागों में हमेशा काम आया. लेकिन मौजूदा समय में उनके पास वन मंत्रालय के अलावा कोई भी महत्वपूर्ण विभाग नहीं है. सुबोध उनियाल धामी सरकार के आने के बाद से काफी खामोश हैं.
धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद सुबोध उनियाल भी बेहद सीमित कार्यक्रम, बैठक और बयानों में दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, पहले भी वह कई बार अनौपचारिक तौर पर इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि जितना उनका राजनीतिक अनुभव है, उतना राज्य को शायद मौजूदा समय में नहीं दे पा रहे हैं. जानकार तो यही मानते हैं कि सुबोध उनियाल जैसा व्यक्ति भी मौजूदा समय में बेहद शांत है और इसकी वजह भी फिलहाल किसी को नहीं पता. सुबोध उनियाल त्रिवेंद्र, हरीश रावत सरकार और अन्य सरकारों में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. वह उत्तराखंड की नरेंद्रनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं.
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5 बार के विधायक अरविंद पांडे गायबः ऐसे ही नेता हैं जो आजकल प्रदेश की राजनीति से गायब हैं. या ये कहें कि वह विधायक तो हैं लेकिन मौजूदा सरकार में उनकी आवाज सुनाई नहीं दे रही है. वह हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री और गदरपुर सीट से विधायक अरविंद पांडे (ARVIND PANDEY). अरविंद पांडे कुछ समय पहले तक राज्य में कैबिनेट मंत्री थे. उनके पास खेल और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय थे. 5 बार के विधायक और अपनी कार्यशैली से अपनी अलग पहचान रखने वाले अरविंद पांडे भी इन दिनों खामोश हैं. यह खामोशी क्यों है? इसका जवाब ही किसी के पास नहीं है. अरविंद पांडे भी जिस तरह से उत्तराखंड की राजनीति में अपना एक अलग स्थान रखते थे. उनके बयानों को, उनकी कार्यशैली को राज्य की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता था. लेकिन अरविंद पांडे भी शांति से अपने विधानसभा क्षेत्र में बने हुए हैं. ऐसा क्या हुआ कि हमेशा चर्चाओं में रहने वाले, उनके बयान, उनका काम अचानक से राज्य की राजनीति से गायब हो गया.
हाशिए पर मदन कौशिकःऐसा ही एक नाम है मदन कौशिक (MADAN KAUSHIK). मदन कौशिक हरिद्वार से 5 बार के विधायक हैं. प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. भाजपा के हर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. सरकारों के मुख्य प्रवक्ता रहे हैं. प्रदेश में सबसे अनुभवी नेताओं में उनका नाम लिया जाता है. सरकार जब जब संकट में आई तब तब मीडिया के सवालों के जवाब हो या कैबिनेट जैसे महत्वपूर्ण बैठकों पर खुलकर सरकार का पक्ष रखना हो, मदन कौशिक आगे रहे हैं. उनके बयान भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए बेहद महत्वपूर्ण हुआ करते थे.