देहरादून:14 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर गए ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने लिखित आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल को स्थगित कर दिया है. लेकिन 12 से 14 घंटे के इस हड़ताल के दौरान उद्योग जगत को करीब 32,00 करोड़ रुपए के प्रोडक्शन का नुकसान हुआ है. यही नहीं, इस दौरान उद्योगों में बिजली के लिए करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का डीजल जल गया. इन सबके अतिरिक्त ऊर्जा विभाग को इस हड़ताल से कितना नुकसान हुआ, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है.
मिली जानकारी के अनुसार, ऊर्जा निगम को मात्र 12 से 14 घंटे के भीतर करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. जिसमें से सबसे अधिक नुकसान ऊर्जा विभाग को उद्योगों से ही हुआ है. एक तरफ ऊर्जा विभाग पहले से ही घाटे में चल रहा है, वहीं, दूसरी ओर ऊर्जा निगम के कर्मचारियों के इस हड़ताल से करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है. बावजूद इसके कर्मचारियों की मांगों को राज्य सरकार ने बड़े ही आसानी से मान लिया. ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि विभाग घाटे से कैसे उबर पाएगा?
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सिडकुल मेन्युफेक्चरर एसोसिएसन यूनिट के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि ऊर्जा निगम के कर्मचारियों के इस हड़ताल से हरिद्वार सिडकुल, देहरादून सेलाकुई और पंतनगर सिडकुल इंडस्ट्रीज में करीब 3200 करोड़ रुपए का प्रोडक्शन नुकसान हुआ है. यही नहीं, बिजली ना होने की वजह से वह जनरेटर का वैकल्पिक व्यवस्था भी रखते हैं और इस दौरान करीब साढ़े 3 करोड़ रुपए का डीजल इस्तेमाल किया गया है.
साथ ही बताया कि हरिद्वार सिडकुल मे करीब 1500 करोड़, पंतनगर सिडकुल में करीब 1500 करोड़ और देहरादून के सेलाकुई के इंडस्ट्री में करीब 200 करोड़ रुपए का प्रोडक्शन नुकसान हुआ है. यानी प्रदेश के 3 जिलों में मौजूद इंडस्ट्रीज को करीब 3200 करोड़ के प्रोडक्शन का नुकसान झेलना पड़ा है.
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वहीं, जनता के नुकसान के सवाल पर ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि कई बार ऐसा होता है वर्तमान समय में किसान आंदोलन भी चल रहा है ऐसे में अगर यह सब चीजें देखने लगे तो लोकतंत्र ही नहीं चलेगा. साथ ही कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है बल्कि जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं, उस दौरान तमाम कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की चेतावनी दे देते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि चुनाव आने वाला हैं ऐसे में उनकी मांगों को मान लिया जाएगा.