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Uttarakhand Year Ender 2023: उत्तराखंड में इन बड़ी जांचों के नाम रहा साल 2023, अवैध कार्यों को लेकर निशाने पर रहे अफ़सर - पीसीएस अधिकारी निधि यादव

uttarakhand year ender 2023 शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ हो कि किसी साल 3 महीने के भीतर तीन मामलों में सीबीआई जांच के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हो. यही नहीं इस साल कई बड़े लोग भी एजेंसियों की जांच के शिकंजे में फंसते नजर आए. प्रदेश में साल 2023 किन बड़ी जांचों को लेकर चर्चाओं में रहा... देखिये इस स्पेशल रिपोर्ट में...

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 24, 2023, 9:40 PM IST

Updated : Dec 25, 2023, 7:09 AM IST

उत्तराखंड में इन बड़ी जांचों के नाम रहा साल 2023

देहरादून: उत्तराखंड में साल 2023 के दौरान कई जांच एजेंसियां विभिन्न मामलों में सक्रिय नजर आई. एक तरफ योजनाओं में गड़बड़ी के मामले इन जांच एजेंसियों के रडार पर रहे, तो कई ऐसे व्हाइट कॉलर भी थे, जिन्हें इस साल जांच एजेंसियों के सवालों का सामना करना पड़ा. बड़ी बात यह है कि इसी साल शुरू हुई कई जांचों में केस दर्ज और कुछ में गिरफ्तारियां भी की गई. साल 2023 के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा सीबीआई और विजिलेंस जांच को लेकर रही. सीबीआई की जांच से जुड़े आदेश देशभर में चर्चा का विषय रहे, जबकि विजिलेंस जांच के कारण कई ताकतवर लोगों को अपनी सफाई के लिए एजेंसी के समक्ष पहुंचना पड़ा.

साल 2023 में पाखरो सफारी मामले ने बटोरी सुर्खियां

HC ने सीबीआई जांच को लेकर दिए ऐतिहासिक फैसले:उत्तराखंड में विभिन्न मामलों में जांच को लेकर इस बार नैनीताल हाईकोर्ट की भूमिका बेहद अहम रही. हाईकोर्ट में एक के बाद एक ऐसे कई मामलों पर जांच के आदेश दिए गए. जिसने सरकार और विभागों में अफसरों के बीच हड़कंप मचा दिया. इसमें सबसे बड़ा मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो सफारी के नाम पर हुए अवैध रूप से वृक्षों के पातन का था. जिस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच करवाकर आईएफएस अधिकारियों के बीच हड़कंप पैदा कर दिया था.

पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण पर सीबीआई जांच बना ऐतिहासिक फैसला:उत्तराखंड के लिए साल 2023 पाखरो टाइगर सफारी के नाम पर हुए अवैध कार्यों को लेकर जाना जाएगा.. ऐसा इसलिए, क्योंकि भले ही यह कारनामा साल 2022 का हो, लेकिन साल 2023 में इस मामले को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए गए. यह पूरा प्रकरण अवैध रूप से संरक्षित क्षेत्र में पेड़ काटे जाने और बिना अनुमति के भवन निर्माण से जुड़ा है. मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से जुड़ा होने के कारण देशभर में इसकी खूब चर्चाएं रही. बड़ी बात यह है कि इस प्रकरण पर पहले ही भारत सरकार के कई विभाग और उत्तराखंड की विजिलेंस भी जांच कर चुकी है, जबकि अब सीबीआई ने भी पूर्व आईएफएस अधिकारी किशनचंद के ठिकानों पर छापेमारी की है. प्रकरण पर मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही कई बड़े अधिकारियों पर सीबीआई कड़ी कार्रवाई कर सकती है.

निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा

उद्यान विभाग में भ्रष्टाचार प्रकरण ने भी खूब बटोरी सुर्खियां:उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को लेकर चर्चित मामला उद्यान विभाग का भी रहा है. इसमें तत्कालीन उद्यान विभाग के निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा पर निलंबन की कार्रवाई की गई है. साथ ही नैनीताल हाई कोर्ट ने गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण प्रकरण की सीबीआई के जांच के आदेश दिए हैं. इस मामले में फिलहाल सीबीआई जांच कर रही है और तत्कालीन निदेशक हरविंदर सिंह बवेजा सीबीआई के रडार पर हैं. उद्यान विभाग में हुए कथित घोटाले पर सीबीआई जांच के आदेश आते ही विभाग में हड़कंप मच गया और एक के बाद एक विभाग में कई खरीद पर भी सवाल खड़े होने लगे.

चकराता, पुरोला वन प्रभाग में सैकड़ों पेड़ काटे जाने के मामले पर जांच :उत्तराखंड में चकराता और पुरोला वन प्रभाग भी खास चर्चाओं में रहा है. दरअसल इन दोनों ही क्षेत्र में बड़ी मात्रा में पेड़ों के काटे जाने की बात सामने आई हैं. प्रकरण के सामने आने के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अफसरों को इसकी जांच के आदेश दिए. इस प्रकरण में पुरोला डीएफओ समेत रेंजर अधिकारी निलंबित किए गए तो, वहीं चकराता में डीएफओ का तबादला कर दिया गया और रेंजर लेवल के अधिकारियों पर कार्रवाई की गई. इसके अलावा गढ़वाल के नरेश कुमार की अध्यक्षता में इस जांच को विस्तृत करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया.

हरिद्वार के पार्किंग ठेका प्रकरण पर सीबीआई जांच के आदेश:हरिद्वार का पंतद्वीप पार्किंग मामला भी खास चर्चाओं में रहा. आरोप लगा कि गलत तरीके से पंतद्वीप पार्किंग के ठेके को एक्सटेंशन दे दिया गया है. इसमें करोड़ों रुपए के कथित घोटाले की भी बात कही गई. हालांकि यह मामला कोरोना काल के दौरान पार्किंग के आवंटन और इसके निर्धारित समय से अधिक तक ठेकेदार को इसका लाभ दिए जाने से जुड़ा रहा, लेकिन हाईकोर्ट में इस मामले के पहुंचने के बाद इस पर सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिए गए. इस प्रकरण में भी कई अधिकारियों के नाम शामिल रहे, जिन पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया.

उद्योगपति सुधीर विंडलास की सीबीआई ने की गिरफ्तारी

उद्योगपति सुधीर विंडलास की सीबीआई ने की गिरफ्तारी:उत्तराखंड के उद्योगपति सुधीर विंडलास को पिछले दिनों सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. आज सुधीर विंडलास को कोर्ट में भी पेश किया गया. यह मामला भी सीबीआई के पास इसी साल ट्रांसफर किया गया. दरअसल यह पूरा प्रकरण जमीन को फर्जीवाड़ा कर हथियाने से जुड़ा है. प्रकरण राजपुर रोड की उस जमीन का है, जिसे गलत तरीके से सुधीर विंडलास द्वारा हथियाए जाने के आरोप लगाए गए हैं. इस मामले पर पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया और अपनी जांच भी शुरू कर दी, लेकिन बाद में सरकार ने इस मुकदमे को सीबीआई में ट्रांसफर करने की संस्तुति दे दी. इसके बाद सीबीआई ने इस पर जांच शुरू की और सुधीर विंडलास के कई ठिकानों पर भी छापेमारी की . सीबीआई की जांच और छापेमारी के दौरान मिले अहम दस्तावेजों को इकट्ठा करने के बाद आखिरकार सीबीआई ने दो दिन पहले उद्योगपति सुधीर और उनके कुछ करीबियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.

शत्रु संपत्ति पर विजिलेंस जांच के बाद कई अधिकारियों पर केस:यह मामला भी हरिद्वार से जुड़ा हुआ है, जहां शत्रु संपत्ति को खुर्द बुर्द कर निजी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई. मामले के पूर्व में ही विजिलेंस जांच के निर्देश कर दिए गए थे. खास बात यह है कि इसी साल के अंत में विजिलेंस ने इस मामले में 10 सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर मुकदमे दर्ज किए. बड़ी बात यह है कि इसमें तत्कालीन एसडीएम और रिटायर्ड PCS अधिकारी हरवीर का नाम भी शामिल था. इतना ही नहीं तत्कालीन लेखपाल और कानूनगो पर भी केस दर्ज किए गए.

पीसीएस अधिकारी निधि यादव

पीसीएस अधिकारी निधि यादव के खिलाफ खुली जांच के आदेश: प्रदेश में यह प्रकरण भी खास चर्चाओं में रहा, ऐसा इसलिए भी क्योंकि राज्य की एक सीनियर पीसीएस अधिकारी के खिलाफ शासन ने विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति दी थी. अधिक संपत्ति मामले में हालांकि विजिलेंस ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पूर्व में ही दे दी थी, लेकिन अपनी प्राथमिक जांच के बाद विजिलेंस ने शासन से प्रकरण पर खुली जांच की अनुमति मांगी थी, जिसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने स्वीकार कर लिया और इस सीनियर पीसीएस अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस की खुली जांच शुरू हो गई जो कि अभी चल रही है.

होटल व्यापारी कोचर के जमीन फर्जीवाड़े के मामले पर हुई विजिलेंस जांच :देहरादून में जाने-माने होटल व्यापारी एसपी कोचर के सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े से जुड़े मामले पर भी सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए, जिस पर विजिलेंस लगातार जांच भी कर रही है. जानकारी के अनुसार कोचर कॉलोनी स्थापित करने के दौरान सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द करने के आरोप में सरकार ने विजिलेंस जांच की अनुमति दी. जिसके बाद विजिलेंस ने होटल व्यापारी से पूछताछ शुरू कर दी है. साथ ही विजिलेंस की टीम ने उनके घर में दस्तक देते हुए जरूरी दस्तावेज भी कब्जे में लिए थे. इस प्रकरण में कोचर दंपति ने राजस्व विभाग, नगर निगम और एनडीए के अधिकारियों के साथ मिलकर करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जा किया और दाखिला खारिज करवाकर इसकी रजिस्ट्री करवा डाली. इसके बाद कोचर दंपत्ति के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया था. हालांकि विजिलेंस ने इस पूरे मामले में इसी साल छापेमारी की कार्रवाई की.

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फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण की जांच भी रही चर्चाओं में:देहरादून में जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री करवाकर उन पर कब्जा करने का मामला इस साल काफी छाया रहा. मामले में जिला प्रशासन को शिकायतें मिलने के बाद इस प्रकरण की जांच पुलिस से करवाई गई और जिलाधिकारी कार्यालय में कुछ कर्मचारियों की संलिप्ता दिखाई दी. इसके बाद देहरादून कोतवाली में इस मामले को लेकर मुकदमा दर्ज करवा दिया गया. धीरे-धीरे यह मामला खुला तो सैकड़ों करोड़ की जमीन पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने नाम करने के मामले सामने आने लगे. प्रकरण पर जाने-माने अधिवक्ता कमल विरमानी समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया और इन पर गैंगस्टर का मुकदमा भी दर्ज किया गया.

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Last Updated : Dec 25, 2023, 7:09 AM IST

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