देहरादून:महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और हरीश रावत अक्सर एक दूसरे पर तंज कसते हुए मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं. लेकिन बीच-बीच में एक दूसरे के प्रति उनका सम्मान भी झलकता है. भगत सिंह कोश्यारी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि पिछले 50 वर्षों के अधिक राजनीतिक जीवन में हम विचारधारा से धुर विरोधी रहे हैं. दोनों अपने अपने दलों के लिए संघर्षरत रहे, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में हरीश रावत ने मुझे सदा भगत दा (बड़े भाई बोलकर) संबोधित किया है. कोश्यारी ने हरीश रावत के जन्मदिन के मौके पर ये बात साझा की और कहा कि मैं मां भगवती से उनके स्वस्थ एवं निरोगी होने के साथ दीर्घायु की प्रार्थना करता हूं.
हरीश रावत को कह चुके खिसियाना बंदर: महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और हरीश रावत जब भी मिलते हैं, एक दूसरे पर तंज कसते नजर आते हैं. हरीश रावत कभी भगत सिंह को कोश्यारी को प्रदेश का खिचड़ी बाबा कहते हैं तो कभी उन्हें मोहनरी में काफल खाने का न्योता देते दिखाई देते हैं. लेकिन हरीश रावत पर भी भगत सिंह कोश्यारी समय-समय पर तंज कसते रहते हैं. कोश्यारी हरीश रावत को खिसियाया बंदर तक कह चुके हैं. उन्होने कहा कि जिस तरह पहाड़ों में अकेला बंदर होता है जो सारे बंदरों को पहाड़ से खदेड़ देता है. भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि वैसे ही हरीश रावत ने कांग्रेसियों को पार्टी से भगा दिया है.
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काफल खाने का दिया न्योता: बीते दिनों हरीश रावत की एक विवाह समारोह में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट हुई. तब हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भगत दा गाड़ (गदेरे) वाले हैं और मैं थार वाला हूं. 'एक बात हम दोनों में सामान्य है कि अपनी माटी और पार्टी से उनका लगाव भी मुझसे कमतर नहीं है. उन्होंने कहा कि मोहनरी में काफल मेले में भगतदा को आमंत्रित करूंगा. भगत दा को आजकल पार्टी ने घर बैठा रखा है. मुझको जनता ने बैठा रखा है, तो दोनों भाई कुछ काफल की सेवा कर लें, देखते हैं क्या होता है!'
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हरीश रावत ने संतरा, माल्टा खाने की जताई इच्छा: जिसके बाद बीते दिनों फिर हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा है. 'उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से बहुत सारी बातें सीखी हैं. जब वो पिथौरागढ़ के सांसद थे, तब वो सार्वजनिक सभा में आरएसएस पर चोट करते थे. जिस पर भगत सिंह कोश्यारी कई पोस्टकार्ड लिखवा कर अपना गुस्सा जाहिर करते थे.' यह गुस्सा उनका संगठन के प्रति निष्ठा को बताया था. हरीश रावत का आगे कहना है कि वो जानते हैं कि भगत दा उनके गांव मोहनरी में आकर काफल खाने के लिए निमंत्रण को स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन जब भगत दा उन्हें कभी रमाड़ी, मांजखेत, नामती चेताबगढ़ की नारंगियां, माल्टे और केले खाने बुलाएंगे तो वो जरूर जाएंगे.
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