देहरादून:राजधानी देहरादून में कोरोना का ग्राफ बेतहाशा बढ़ता जा रहा है. वहीं सरकार के समक्ष यक्ष चुनौती भी बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि राजधानी देहरादून के सरकारी और निजी अस्पतालों के आइसीयू बेड के लिए कई-कई दिनों की वेटिंग चल रही है. गंभीर हालत वाले मरीज को इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
राजधानी देहरादून में शुरुआती चरण में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज और एम्स ऋषिकेश में ही कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा था. लेकिन कोरोना का बढ़ता ग्राफ देख कर सरकार ने निजी अस्पतालों को भी कोरोना के इलाज की अनुमति दे दी है.
हालांकि जिले में अभी भी पांच ही निजी अस्पताल से कोरोना के इलाज से जुड़े हैं. इन अस्पतालों में कुल मिलाकर 51 आइसीयू बेड की व्यवस्था है. फिलहाल एम्स और दून मेडिकल कॉलेज में 135 आइसीयू बेड ही उपलब्ध हैं. बीते कई दिनों से कोविड-19 अस्पतालों में इंटेंसिव केयर यूनिट फुल चल रही हैं. ऐसे में जब कोई गंभीर मरीज स्वस्थ हो जाता है तो उसकी जगह अस्पताल दूसरे गंभीर मरीजों को आईसीयू में शिफ्ट कर देता है.
ऐसे में आइसीयू की कमी से जूझ रहे देहरादून के दून अस्पताल में बेड बढ़ाने की कवायद तेज की जा रही है. हालांकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार से एक लाख मरीजों की क्षमता के अस्पताल और 5 हजार आईसीयू और वेंटिलेटर की व्यवस्था करने की मांग की है. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि कोरोना का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन (सामाजिक विस्तार) शुरू हो चुका है. ऐसे में सरकार को इसकी घोषणा करनी चाहिए. उन्होंने राज्य में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों और रोजाना हो रही मरीजों की मौतों के सिलसिले में त्रिवेंद्र सरकार की महामारी से निपटने की रणनीति को पूरी तरह से फेल करार दिया है.
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