देहरादून: उत्तराखंड में मुद्रा योजना और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत लोन देने में बैंकों ने असमर्थता जताई है. मुद्रा योजना और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत विश्वसनीय प्रोजेक्ट ना होने के कारण बैंक लोन देने से कतरा रहे हैं. इसके साथ ही बैंक उन ग्राहकों के लोन को भी निरस्त कर रहा है, जिनका सिविल ट्रैक रिकॉर्ड पहले से अच्छा नहीं है.
मुद्रा योजना पर गहराया संकट. बैंकों अधिकारियों का कहना है कि देशभर के राष्ट्रीय बैंक पहले ही खस्ताहाल स्थिति से गुजर रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय योजनाओं के तहत दिए जाने वाले ऋण पर रिकवरी की आशंका लगातार बढ़ रही है. जब रिकवरी ही समय से वापस नहीं आएगी तो कतार में लगे अन्य आवेदकों को कैसे ऋण दिया जा सकेगा. बैंकिंग क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट के विशेषज्ञ जितेंद्र डाइडोन के मुताबिक केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत बैंक लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं. बैंकों की हालत लोन रिकवरी ना होने के कारण खस्ता स्थिति में पहुंच गई है.
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मुद्रा योजना और प्रधानमंत्री रोजगार लोन के आवेदन लगातार निरस्त होने की शिकायत के बाद देहरादून डीएम आशीष श्रीवास्तव ने 9 बैंकों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. एसबीआई बैंक मुद्रा लोन देने में सबसे ज्यादा आनाकानी कर रहा है. इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ओबीसी, पंजाब एंड सिंध, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यस बैंक, इंडियन बैंक और बंधन बैंक जैसे बैंकों द्वारा मुद्रा और रोजगार सृजन योजना में युवाओं को ऋण देने में नियमानुसार 30 फीसदी से कम अनुपात दर्ज की गई है.
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रिजर्व बैंक बैंकों को सस्ते ब्याज दर पर लोन आवंटित करने के लिए प्रोत्साहन जरूर कर रहा है, लेकिन मौजूदा स्थिति में बैंकों की दयनीय स्थिति के चलते बैंकर्स किसी भी तरह का जोखिम उठाने में कतरा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि देश के वित्त मंत्री निर्मला सीताराम रमन ने बैंकों को साफ तौर पर कहा है कि, लोन आवंटन करने में आवेदकों के साथ आनाकानी करने और बैंकिंग व्यवस्था की सही सर्विस ना देने के चलते बैंक से ग्राहक दूर होते जा रहे हैं जो अपने आप में चिंता का विषय है. लेकिन बैंक है कि मानते नहीं.