ऋषिकेश: मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष में ऋषिकेश एम्स के मनोचिकित्सा विभाग में मरीजों और उनके तीमारदारों को युवाओं में बढ़ते नशे की लत से होने वाले शारीरिक नुकसान के प्रति जागरूक किया गया. साथ ही उन्हें नशे से दूर रहने के उपाय बताए गए. इस दौरान लोगों को एम्स संस्थान में मानसिक रोग के निदान के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी दी गई.
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि संस्थान में मरीजों को हर एक विभाग में वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे उन्हें इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े. उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में संस्थान के मनोचिकित्सा विभाग में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया है. जिसमें कम खर्च पर मरीजों को बेहतर उपचार दिया जा रहा है. साथ ही इसमें मरीज के दाखिले की सुविधा भी उपलब्ध है.
निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रविकांत ने बताया कि निकट भविष्य में एम्स में मरीजों को आधुनिकतम तकनीकि सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने बताया कि नशे के लगातार सेवन से उसका असर खत्म होने पर व्यक्ति फिर से नशा लेने की इच्छा जताता है. जिससे कुछ समय बाद उसे नशे की लत लग जाती है, लिहाजा इसे छोड़ पाना कठिन हो जाता है. उन्होंने बताया कि मरीजों को इस तरह की समस्याओं से दूर करने के लिए एम्स संस्थान में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया है. जिसमें मरीजों को परामर्श और उपचार की संपूर्ण सुविधा उपलब्ध है.
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नशा मुक्ति केंद्र के नोडल अधिकारी डा. रवि गुप्ता ने बताया कि देश के विभिन्न प्रांतों में नशे का सेवन अत्यधिक बढ़ रहा है,जिसमें उत्तराखंड भी शामिल है. नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी अधिकारी डा. अनिरूद्ध बासू ने बताया कि सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय संर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार शराब का सेवन 38.1 प्रतिशत पुरुषों में पाया गया है. जिसमें उत्तर भारत दूसरे स्थान पर है. बताया कि नशे की लत लगने से व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोच पाता. नशीला पदार्थ नहीं मिलने से व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगना, गुस्सा आना, हाथ पैरों में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उल्टी मितली आना जैसे लक्षण पाए जाते हैं.