देहरादून:उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. एक तरफ लोकतंत्र के पर्व को मनाने के लिए जनता बेताब है. तो वहीं, राजनेता भी अपनी जीत के लिए सियासी दांव पेंच आजमा रहे हैं. उत्तराखंड में चुनावी स्थितियों को भांपने के लिए ईटीवी भारत भी विधानसभाओं में विकास कार्यों का जायजा लेने और जनता की राय जानने की कोशिश कर रहा है.
ईटीवी भारत की टीम ने इस सिलसिले की शुरुआत राजधानी देहरादून की रायपुर विधानसभा से की जा रही है. जहां, विधायक उमेश शर्मा काऊ प्रदेश में 2017 चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर चुके हैं. इस विधानसभा पर किस तरह के बन रहे हैं चुनावी समीकरण.
रायपुर विधानसभा की स्थितियों को करीब से जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए न केवल आम जनता की राय से आपको रूबरू कराएगी बल्कि विधानसभा क्षेत्र में जमीनी हकीकत को भी दिखाने की कोशिश करेगी. बात रायपुर विधानसभा की है तो सबसे पहले ईटीवी संवादाता ने रायपुर विधानसभा से विधायक उमेश शर्मा काऊ के घर से ही रिपोर्ट तैयार करनी शुरू की.
विधायक उमेश शर्मा काऊ के घर बाहर चमचमाती सड़क और बिना गड्ढों के सड़क पर तेजी से गुजरते वाहनों को देखकर वाकई विकास को देखा जा सकता है. हो भी क्यों ना, जब सड़क विधायक जी के आंगन तक बनी हुई हो. ऐसे में उम्मीद तो करनी ही चाहिए कि विधानसभा के अन्य इलाकों में भी सड़कों की हालत अच्छी होगी और सड़कें गड्ढों से मुक्त होंगी. यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम आगे बढ़ गई.
रायपुर विधानसभा की स्थति: रायपुर विधानसभा प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभाओं में से एक है. यहां पर करीब दो लाख वोटर हैं, जो चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं. मुख्य कॉलोनियों की बात करें तो इस क्षेत्र में अजबपुर कला, अजबपुर खुर्द, अधोईवाला, वाणी विहार, मोहकमपुर, माजरी, मियां वाला, तुनवाला, भगत सिंह कॉलोनी, आम वाला, नालापानी, डांडा लाखोड, रायपुर, गुजराड़ा और नेहरू ग्राम क्षेत्र शामिल हैं.
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वोटर के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में 80% गढ़वाली वोटर्स हैं, जबकि 20% बाकी वोटर्स मौजूद है. जातिगत समीकरण पर बात करें तो इस सीट पर 34% ठाकुर मतदाता, 32% ब्राह्मण, 15% अनुसूचित जाति से जुड़े लोग, 12% मुस्लिम और 7% गोरखाली समुदाय के लोग मौजूद हैं.
रायपुर विधानसभा क्षेत्र की मुख्य समस्याएं: रायपुर विधानसभा राजधानी के शहरी इलाके की विधानसभा है. लिहाजा, यहां पर सड़कों को लेकर कुछ खास दिक्कत नजर नहीं आती. यह समस्या के रूप में नालों में जल भराव, खराब ड्रेनेज सिस्टम, गंदे पानी की सप्लाई, इलेक्ट्रिक पोल पर झूलती तारे, मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का मुद्दा, शहरी क्षेत्र में ट्रैफिक की समस्या, रिस्पना नदी के किनारे बरसात में नुकसान, नदी के किनारे पुश्ते ना बनना मुख्य रूप से हैं.
इस विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास: साल 2008 में परिसीमन के बाद पहली बार यह सीट अस्तित्व में आई और साल 2012 में पहली बार इस सीट पर विधानसभा चुनाव हुआ. साल 2012 में उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस में थे. उन्होंने इस सीट पर भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत को 474 वोटों से हराया. इसके बाद उमेश शर्मा काऊ 2017 के चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. जिसके बाद इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट से लड़ते हुए कांग्रेस के प्रभु लाल बहुगुणा को कुल 60% वोट लेकर करीब 36000 वोटों से हराया.
रायपुर विधानसभा सीट पर पिछले 5 सालों में उमेश शर्मा काऊ के कामों को लेकर नाराजगी बढ़ी है. लोग उमेश शर्मा काऊ को अपने बीच नहीं आने का आरोप लगा रहे हैं. इतना ही नहीं क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम से लेकर नालियों में गंदगी की समस्या विधानसभा में दिखाई देती है. रिस्पना नदी के किनारे पर रहने वाले लोगों को अब भी लगातार खतरा बना हुआ है और पूछता न बनने से भी लोग नाराज हैं.