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रायपुर विधानसभा में क्या है लोगों का मूड, विधायक उमेश शर्मा काऊ से नाराज या खुश?

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनेता अपनी-अपनी विधासभाओं में लोगों को साधने की कोशिशों में जुटे हैं. इसी बीच उत्तराखंड में चुनावी स्थितियों को भांपने के लिए ईटीवी भारत भी विधानसभाओं में विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए जनता के बीच पहुंचा है.

development work in raipur assembly
रायपुर विधानसभा की स्थिति

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Published : Nov 27, 2021, 4:50 PM IST

Updated : Nov 27, 2021, 8:10 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. एक तरफ लोकतंत्र के पर्व को मनाने के लिए जनता बेताब है. तो वहीं, राजनेता भी अपनी जीत के लिए सियासी दांव पेंच आजमा रहे हैं. उत्तराखंड में चुनावी स्थितियों को भांपने के लिए ईटीवी भारत भी विधानसभाओं में विकास कार्यों का जायजा लेने और जनता की राय जानने की कोशिश कर रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने इस सिलसिले की शुरुआत राजधानी देहरादून की रायपुर विधानसभा से की जा रही है. जहां, विधायक उमेश शर्मा काऊ प्रदेश में 2017 चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर चुके हैं. इस विधानसभा पर किस तरह के बन रहे हैं चुनावी समीकरण.

रायपुर विधानसभा में क्या है लोगों का मूड.

रायपुर विधानसभा की स्थितियों को करीब से जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए न केवल आम जनता की राय से आपको रूबरू कराएगी बल्कि विधानसभा क्षेत्र में जमीनी हकीकत को भी दिखाने की कोशिश करेगी. बात रायपुर विधानसभा की है तो सबसे पहले ईटीवी संवादाता ने रायपुर विधानसभा से विधायक उमेश शर्मा काऊ के घर से ही रिपोर्ट तैयार करनी शुरू की.

विधायक उमेश शर्मा काऊ के घर बाहर चमचमाती सड़क और बिना गड्ढों के सड़क पर तेजी से गुजरते वाहनों को देखकर वाकई विकास को देखा जा सकता है. हो भी क्यों ना, जब सड़क विधायक जी के आंगन तक बनी हुई हो. ऐसे में उम्मीद तो करनी ही चाहिए कि विधानसभा के अन्य इलाकों में भी सड़कों की हालत अच्छी होगी और सड़कें गड्ढों से मुक्त होंगी. यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम आगे बढ़ गई.

रायपुर विधानसभा की स्थति: रायपुर विधानसभा प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभाओं में से एक है. यहां पर करीब दो लाख वोटर हैं, जो चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं. मुख्य कॉलोनियों की बात करें तो इस क्षेत्र में अजबपुर कला, अजबपुर खुर्द, अधोईवाला, वाणी विहार, मोहकमपुर, माजरी, मियां वाला, तुनवाला, भगत सिंह कॉलोनी, आम वाला, नालापानी, डांडा लाखोड, रायपुर, गुजराड़ा और नेहरू ग्राम क्षेत्र शामिल हैं.

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वोटर के लिहाज से देखें तो इस क्षेत्र में 80% गढ़वाली वोटर्स हैं, जबकि 20% बाकी वोटर्स मौजूद है. जातिगत समीकरण पर बात करें तो इस सीट पर 34% ठाकुर मतदाता, 32% ब्राह्मण, 15% अनुसूचित जाति से जुड़े लोग, 12% मुस्लिम और 7% गोरखाली समुदाय के लोग मौजूद हैं.

रायपुर विधानसभा क्षेत्र की मुख्य समस्याएं: रायपुर विधानसभा राजधानी के शहरी इलाके की विधानसभा है. लिहाजा, यहां पर सड़कों को लेकर कुछ खास दिक्कत नजर नहीं आती. यह समस्या के रूप में नालों में जल भराव, खराब ड्रेनेज सिस्टम, गंदे पानी की सप्लाई, इलेक्ट्रिक पोल पर झूलती तारे, मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का मुद्दा, शहरी क्षेत्र में ट्रैफिक की समस्या, रिस्पना नदी के किनारे बरसात में नुकसान, नदी के किनारे पुश्ते ना बनना मुख्य रूप से हैं.

इस विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास: साल 2008 में परिसीमन के बाद पहली बार यह सीट अस्तित्व में आई और साल 2012 में पहली बार इस सीट पर विधानसभा चुनाव हुआ. साल 2012 में उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस में थे. उन्होंने इस सीट पर भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत को 474 वोटों से हराया. इसके बाद उमेश शर्मा काऊ 2017 के चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. जिसके बाद इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट से लड़ते हुए कांग्रेस के प्रभु लाल बहुगुणा को कुल 60% वोट लेकर करीब 36000 वोटों से हराया.

रायपुर विधानसभा सीट पर पिछले 5 सालों में उमेश शर्मा काऊ के कामों को लेकर नाराजगी बढ़ी है. लोग उमेश शर्मा काऊ को अपने बीच नहीं आने का आरोप लगा रहे हैं. इतना ही नहीं क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम से लेकर नालियों में गंदगी की समस्या विधानसभा में दिखाई देती है. रिस्पना नदी के किनारे पर रहने वाले लोगों को अब भी लगातार खतरा बना हुआ है और पूछता न बनने से भी लोग नाराज हैं.

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उधर, सीवर लाइन बिछने के बावजूद कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर लोग इसकी सुविधा नहीं ले पा रहे हैं. बिना कनेक्शन लगाए भी लोगों के बिल जोड़ कर भेजे जा रहे हैं. विधानसभा में घरों के ऊपर से गुजरती तारे और टेढ़े पोल पर तारों के गुच्छे आसानी से देखे जा सकते हैं. इससे भी लोग खासे परेशान हैं और विधायक से नाराज भी हैं. इन तमाम परेशानियों को जानने के लिए सबसे पहले हमने विधायक उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी प्रभु लाल बहुगुणा से बात की उन्होंने अपनी राय रखी.

काऊ के प्रति दिखी नाराजगी:विधायक उमेश शर्मा काऊ की राय और उनका जवाब जानने के लिए भी उनसे फोन पर बात की गई. दो बार उनके बंगले पर भी जाकर जनता की नाराजगी को लेकर उनकी बात समझने की कोशिश की गई. लेकिन विधायक की तरफ से समय नहीं मिल पाया. हो सकता हो कि विधायक पार्टी मीटिंग में या अपने दूसरे कार्यक्रमों में व्यस्त हों. लेकिन जनता उनके कार्यों को लेकर क्या कह रही है? इस पर भी जनता की राय लेने के लिए अलग-अलग कॉलोनियों और क्षेत्रों में जाकर बात करने की कोशिश की गई.

शांति विहार, वाणी विहार,अपर राजीव नगर अलग-अलग जगह पर जाकर लोगों से विधायक के कामों पर राय ली गई और अधिकतर लोगों की शिकायत नाली, खड़ंजा, 4 साल बाद सड़क बनाने की बात कहना, साथ ही पुश्ता नहीं बनाना और विधायक जी के चुनाव जीतकर वापस नहीं आने की बात कही गई.

कांग्रेस पार्षद ने बताया फिसड्डी:तो वहीं, नाली में गंदगी को लेकर कुछ लोगों ने खुद को भी इसके लिए जिम्मेदार माना. कांग्रेस पार्षद से भी बात हुई और उन्होंने भाजपा के मेयर की तो तारीफ की लेकिन विधायक को फिसड्डी करा दे दिया. इसके बाद ईटीवी भारत की टीम वाणी विहार होते हुए अपर राजीव नगर पहुंची और लोगों से बात की.

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राजीव नगर:इस इलाके में भाजपा की पार्षद जीत कर आई हैं और उनके कामों को लेकर भी लोग खुश दिखाई दे रहे हैं लेकिन यहां की जनता ने विधायक काऊ को जनता से दूर रहने वाला नेता बताया. लोगों ने कहा कि उनके क्षेत्र में जलभराव की समस्या बेहद ज्यादा रही है, लेकिन विधायक जी ने कभी मुड़कर वापस क्षेत्र में लोगों की समस्या देखने के लिए समय नहीं निकाला.

अपर राजीव नगर: यहां की जनता में उमेश शर्मा काऊ के प्रति नाराजगी देखने को मिली. मौजूदा स्थिति से लगता है कि लोगों में विधायक को लेकर नाराजगी है. पिछले 5 साल लोग विधायक की कार्यप्रणाली से भी बेहद ज्यादा नाराज दिखे. हालांकि, उमेश शर्मा काऊ इस विधानसभा में पिछले 10 साल से लगातार विधायक बने हुए हैं. ऐसे में उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी होना लाजमी ही है.

राजधानी देहरादून का शहरी क्षेत्र होने के चलते इस विधानसभा में हाईवे भी है. सरकार की इस क्षेत्र में विकास कार्य करने की मजबूरी भी है क्योंकि नगर निगम होने के चलते कई काम नगर निगम स्तर से भी कर दिए जाते हैं लेकिन बड़ा बजट मिलने और सरकार की प्राथमिकता के बावजूद विधायक को लेकर लोगों की शिकायतें आगामी चुनाव में उनको लेकर परेशानी पैदा करने वाली हैं.

आगामी चुनाव 2022 में जनता अपनी नाराजगी को चुनाव के दौरान किस रूप में रखती है यह कहना मुश्किल है लेकिन इतना तय है कि विधानसभा में हुए अच्छे कार्य विधायक की जीत को आसान करेंगे, तो काऊ की जनता से दूरी उन्हें विधानसभा से भी दूर कर सकती है.

Last Updated : Nov 27, 2021, 8:10 PM IST

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