ऋषिकेशःप्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते सौंग नदी के किनारे खदरी क्षेत्र की सीमा में पानी घुसने का खतरा बना हुआ है. जिसे देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने खदरी क्षेत्र का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जल्द ही करीब 51 करोड़ रुपये की लागत की योजना केंद्र सरकार से स्वीकृत होगी. जिसके बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा संबंधी निर्माण कार्य शुरू किए जाएंगे.
बता दें कि, सौंग नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बना हुआ है. पानी का रुख भी खदरी की ओर मुड़ गया है. जिससे बाढ़ सुरक्षा दीवार को भी नुकसान पहुंचा है. इसी कड़ी में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने स्थानीय लोगों के साथ खदरी क्षेत्र का मुआयना किया. उन्होंने बताया कि साल 2007 में जब वो पहली बार विधायक बने थे, तो उन्होंने इस क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा दीवार का निर्माण करवाया था. जिससे सौंग नदी में आने वाले बाढ़ से इलाके को बचाया जा सके. दीवार बनने से क्षेत्रवासियों को काफी राहत मिली थी. अब पानी का बहाव मुड़ने से खदरी की सीमा में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है.
विधानसभा अध्यक्ष ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों का किया दौरा. ये भी पढ़ेंःजान जोखिम में डालकर नहर में नहा रहे बच्चे, हादसों से सबक नहीं ले रहा प्रशासन
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बाढ़ग्रस्त नदियों में तटबंध बनाने और बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए करीब 51 करोड़ की योजना सरकार के माध्यम से गंगा फ्लड कंट्रोल कमेटी (जीएफसीसी) पटना को भेजी गई थी. वहां से तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद केंद्रीय जल आयोग में अंतिम चरण में है.
कोरोना महामारी के चलते योजना को शुरू होने में थोड़ा देरी हुई है, लेकिन जल्द ही इस योजना के माध्यम से सौंग नदी, बंगाला नाला, सेवला नाला, सुसवा नदी और अन्य सहायक नदियों के तट पर बाढ़ सुरक्षा के कार्य शुरू कराए जाएंगे. जिससे ठाकुरपुर, खदरी खडगमाफ, गोहरीमाफी, प्रतीत नगर, रायवाला आदि क्षेत्रों में बाढ़ के प्रकोप से रोका जा सकेगा.
खदरी में करीब 108 बीघा खेत बहा चुका सौंग नदी
श्यामपुर खदरी ग्राम सभा में रहने वाले ग्रामीण बीते दो दशकों से सौंग नदी का प्रकोप झेल रहे हैं. सौंग नदी में खदरी के किसानों की करीब 108 बीघा खेत बह चुकी है, लेकिन एक दशक से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद अभी तक मुआवजा तक नहीं दिया गया है. खदरी के लोग खेती पर ही निर्भर हैं, लेकिन बाढ़ की वजह से खेत खलियान बह गए हैं. यही कारण है कि आज उनके सामने जीवन यापन करने में काफी दिक्कतें हो रही है. किसानों का कहना है कि अब वे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अन्य लोगों के खेतों में काम कर रहे हैं.
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किसानों के खेत बहे, लेकिन नहीं मिला मुआवजा
बैसाखी देवी बताती हैं कि उनके पास 5 बीघा खेत था. जिसमें वो फसल बोकर परिवार चलाती थी, लेकिन अब उनके पास सिर्फ डेढ़ बीघा खेत ही बचा है. इसके साथ ही कृष्णा रयाल बताती हैं कि उनके पास 10 बीघा खेत है. लेकिन अब उनके पास सिर्फ 6 बीघा खेत ही बचा है. बाकी के खेत सौंग नदी में बह गया है. वहीं, मामले में जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान ने बताया कि सौंग नदी में हर साल करीब 2 से 3 बीघा खेत का कटान हो जाता है, अभी तक सौंग नदी में 100 बीघे से ज्यादा खेत बह गए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों की बेरुखी और उदासीनता की वजह से अभी मुआवजा नहीं मिला है.
वहीं, ऋषिकेश उपजिलाधिकारी वरुण चौधरी ने बताया कि खेत बहने की जानकारी ग्रामीणों की ओर से दी गई है. इस पूरे मामले को देखा जा रहा है, फिलहाल बाढ़ की स्थिति से निपटने का कार्य किया जा रहा है. इसके बाद जब बाढ़ की स्थिति सामान्य होगी. तब सर्वे किया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी.