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सितारगंज: मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन - Tehsildar Jagmohan Tripathi

सितारगंज में आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा. कार्यकर्ताओं ने सरकार के कई कार्यों का विरोध भी किया है.

राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

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Published : May 23, 2020, 2:13 PM IST

सितारगंज: आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वो लाॅकडाउन की आड़ में श्रम कानूनों को खत्म कर रही है. उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि केंद्र सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को विदेशी पूंजी के हवाले करने के साथ ही अंधाधुंध निजीकरण और कॉर्पोरेट को खुली छूट दे रही है. ऐसे में विदेशी पूंजी की दया और भारतीय श्रमिकों की गुलामी की कीमत पर आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कैसे हो सकता है.

आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में स्वास्थ्य विभाग के निर्देशन में काम किया जा रहा है. इस दौरान प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा भी की गई है. कोरोना फ्रंट वॉरियर्स आशाओं के लिए इसमें कुछ भी नहीं हैं. उन्हें इस कार्य के लिए न तो कोई आकस्मिक फंड उपलब्ध कराया गया है न ही कोई मानदेय या प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. उन्होंने कहा कि ग्रुप एक्टिविटी, प्रति प्रसव पारिश्रमिक और एचबीएनसी का पिछले नवंबर और जनवरी से एक भी पैसा नहीं मिला है. ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

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आशा कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगें-

  • सरकार यूनियन बनाने और हड़ताल पर रोक न लगाए
  • सरकार श्रम कानूनों को तीन साल तक स्थगित करने का फैसला वापस ले
  • सरकार आठ के बजाय 12 घंटे के कार्य के फैसले को वापस ले
  • सरकार 44 श्रम कानूनों को कोडीकरण कर श्रमिकों के अधिकार छीनना बंद करे
  • लाॅकडाउन के कारण आशा कार्यकर्ताओं को दस हजार रुपये का राहत भुगतान मिले
  • कोविड-19 के कार्य में लगी आशा कार्यकर्ताओं के मासिक मानदेय का शीघ्र भुगतान हो
  • सभी आशा कार्यकर्ताओं को 50 लाख का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा मिले
  • सभी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिले

वहीं इस दौरान सरमीन सिद्दिकी, हेमंती नेगी, मुबीना, चरनजीत कौर, फूलमती, कंचन, सीता सहित कई आशा कार्यकर्ता मौजूद थीं.

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