उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

हरीश रावत को रही है आंखें मूंदने की पुरानी 'आदत', सामने होती रही मनमानी भर्तियां, नजर भी नहीं डाली

उत्तराखंड में कांग्रेस ने विपक्षी दल के रूप में जिस तरस से उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Assembly) में हुई बैकडोर की भर्तियों (backdoor recruitments in Uttarakhand Assembly) का मुद्दा उठाया, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (former CM Harish Rawat) खुद भी फंसते हुए नजर आ रहे है. शायद यही कारण है कि वो अलग-अलग बयान दे रहे हैं. दरअसल जब हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए ही भी ये ही खेल खेला गया था, तब हरदा ने अपनी आंखें मूंद ली थी.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Sep 3, 2022, 1:02 PM IST

Updated : Sep 3, 2022, 7:27 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Assembly) में बैकडोर से हुई नियुक्तियां (backdoor recruitments in Uttarakhand Assembly) भले ही भाजपा सरकार के गले की फांस बन गई हों, लेकिन भाई भतीजावाद से जुड़ी ऐसी ही नियुक्तियों पर हरीश रावत भी कटघरे में हैं. दरअसल हरीश रावत अपने राजनीतिक फैसलों को आंखें मूंद कर लेते हैं. विधानसभा नियुक्तियों में हरीश रावत (former CM Harish Rawat) के बयान कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं. वैसे इससे पहले एक स्टिंग में भी हरीश रावत गलत फैसलों पर आंखें मूंदने की बात कहते हुए नज़र आ चुके हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत 2016 में अपनी सरकार बचाने के लिए डील करते एक स्टिंग मे कैद हुए थे. उत्तराखंड और पूरे देश ने इस दौरान उस वीडियो में हरीश रावत को मंत्रियों के विभागों से कमाने पर आंख मूंदने की बात कहते हुए भी सुना था. इसके बाद सभी जगह इस बात की चर्चा रही कि हरीश रावत आंखें मूंदने की जिस राजनीति को कर रहे हैं, वह कितनी जायज है.

हरीश रावत को रही है आंखें मूंदने की पुरानी 'बीमारी'
पढ़ें-UKSSSC Paper Leak में 33वीं गिरफ्तारी, पत्नी का सलेक्शन करवाने वाला PRD जवान संजय राणा अरेस्ट

खास बात यह है कि इस घटना के करीब 6 साल बाद एक बार फिर हरीश रावत के आंख मूंदकर राजनीति करने की बात सुर्ख़ियों में है. दरअसल हरीश रावत ने विधानसभा में हुई नियुक्तियों पर जो बयान दिया है, वह आंखें बंद करके राजनीति करने की उसी प्रवृत्ति को जाहिर कर रहा है. हरीश रावत ने खुद स्वीकार किया है कि उनकी सरकार के कार्यकाल में जब ये भर्तियां हो रही थीं, तो उन्होंने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल से मिलना जुलना भी बंद कर दिया था. यूकेएसएसएससी के मामलों में भी उन्होंने दखल देना बंद कर दिया था.

यह बयान इसलिए हैरानी पैदा करता है क्योंकि मुख्यमंत्री रहने के दौरान हरीश रावत की जिम्मेदारी थी कि यदि कुछ गलत हो रहा है तो वह उसे कानूनी रूप से रोकें. लेकिन वह तो खुद ही मान रहे हैं कि नैतिक रूप से गलत हो रही नियुक्तियों की उन्हें जानकारी थी. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने केवल अपना दामन बचाया. इन नियुक्तियों को रोकने की कोशिश नहीं की. गोविंद सिंह कुंजवाल का इस मामले में सीधे तौर पर नाम आने के बाद हरीश रावत उनका बचाव करते रहे हैं. वैसे हरीश रावत का अपने करीबी गोविंद सिंह कुंजवाल का बचाव करना मजबूरी भी है. क्योंकि गोविंद सिंह कुंजवाल वही नेता हैं, जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए हरीश रावत की सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाई थी.
पढ़ें-विधानसभा में भाई भतीजावाद वाली भर्तियों पर हरीश रावत की रहस्यमय चुप्पी, क्या कुंजवाल हैं कारण

हरीश रावत यूं तो राजनीति के पुरोधा माने जाते हैं, लेकिन इस मामले में वह अपने ही बयानों में फंस गए हैं. कभी वह कुंजवाल का बचाव करते हैं तो कभी वह इन नियुक्तियों को नैतिक आधार पर गलत भी ठहरा देते हैं. जाहिर है कि हरीश रावत के बयान बयां कर रहे हैं कि वह खुद भी समझ नहीं पा रहे कि ऐसे हालातों में कैसे अपने करीबी को बचाएं भी और भाई भतीजावाद के तहत हुई इन नियुक्तियों को गलत भी ठहराएं.

Last Updated : Sep 3, 2022, 7:27 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details