देहरादूनः देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर वैक्सीन अभियान बेहद तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. हालांकि सवा सौ करोड़ भारतवासियों को एक साथ वैक्सीन उपलब्ध कराना केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. इसी का नतीजा है कि मौजूदा वक्त में देश में वैक्सीन की कमी नजर आ रही है. हालांकि सबसे पहले कोवीशील्ड फिर कोवैक्सीन और अब स्पूतनिक वैक्सीन को भी देशवासियों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है.
वैक्सीनेशन के अभियान को तेज रफ्तार देने के लिए लगातार अलग-अलग चरणों में कार्यक्रमों को चलाया गया है. स्वास्थ्य कर्मी, फ्रंटलाइन वॉरियर्स, बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए वैक्सीनेशन की अलग-अलग चरणों में व्यवस्था की गई है. यही नहीं, 1 मई से 18 से 44 साल के युवाओं के लिए भी वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया है. लेकिन इस सबके बावजूद कई बार वैक्सीन से लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए गए हैं. इन सवालों का जवाब उत्तराखंड पुलिस विभाग के पास हाजिर है.
आइए एक नजर डालते हैं...
- उत्तराखंड में करीब 25 हजार पुलिसकर्मी तैनात हैं.
- 24 हजार पुलिसकर्मियों को अब तक वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है.
- 1 हजार पुलिसकर्मी मेडिकल कारणों के कारण वैक्सीन नहीं लगा पाए हैं.
- कोरोना की पहली लहर के दौरान 1981 पुलिसकर्मी संक्रमित हुए थे.
- इसमें 200 पुलिसकर्मी अस्पताल में भर्ती हुए थे तथा 8 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई थी.
- पहली लहर के दौरान 10% संक्रमित पुलिसकर्मी अस्पताल तक पहुंचे और 0.4% पुलिसकर्मी अपनी जान गंवा बैठे.
- दूसरी लहर तक 24 हजार पुलिसकर्मी वैक्सीन लगवा चुके थे.
- दूसरी लहर में कुल 2066 पुलिसकर्मी संक्रमित हुए.
- इसमें 200 पुलिसकर्मी ऐसे थे जिनको वैक्सीन नहीं लगी थी.
- करीब 1866 संक्रमित पुलिसकर्मियों ने वैक्सीन लगाई थी, जिसमें से कोई भी पुलिसकर्मी गंभीर अवस्था तक नहीं पहुंचा.
- वैक्सीन लगाने वाले सभी पुलिसकर्मियों को अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई. सभी 5 से 7 दिनों में ठीक हो गए.