देहरादून: जनवरी 2022 में भारत सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना पहला सौर मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च करेगा. इसरो के मुताबिक इस मिशन का मकसद बिना किसी बाधा के सूर्य पर स्थायी तौर पर निगाह बनाए रखना है. आदित्य एल-1 का अभिप्राय सौर आभामंडल का प्रेक्षण करना है.
वहीं, भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को एक वेब इंटरफेस पर जमा करने के लिए एक कम्युनिटी सर्विस सेंटर की स्थापना की गई है, ताकि वैज्ञानिक इन आंकड़ों को तुरंत देख सकें और वैज्ञानिक तरीके से उसका विश्लेषण कर सकें. इस सेंटर का नाम है आदित्य L1 सपोर्ट सेल (AL1SC).
नैनीताल की मनोरा पीक पर स्थित ARIES. इस सेंटर को इसरो (ISRO) और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences) ने मिलकर बनाया है. इस केंद्र का उपयोग अतिथि पर्यवेक्षकों (गेस्ट ऑब्जर्वर) द्वारा वैज्ञानिक आंकड़ों के विश्लेषण और विज्ञान पर्यवेक्षण प्रस्ताव तैयार करने में किया जाएगा.
भारत का पहला सौर अंतरिक्ष मिशन. AL1SC की स्थापना ARIES के उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी परिसर में किया गया है, जो इसरो के साथ संयुक्त रूप काम करेगा. ताकि भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन L1 (Aditya-L1) से मिलने वाले सभी वैज्ञानिक विवरणों और आंकड़ों का अधिकतम विश्लेषण और उपयोग किया जा सके.
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यह केंद्र दुनिया की अन्य अंतरिक्ष वेधशालाओं से भी जुड़ेगा. सौर मिशन से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराएगा, जो आदित्य L1 से प्राप्त होने वाले विवरण में मदद कर सकते हैं. उपयोगकर्ताओं को आदित्य L1 की अपनी क्षमताओं से आगे का वैज्ञानिक लक्ष्य प्राप्त करने योग्य बना सकते हैं.
यह केंद्र आदित्य L1 से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी सुलभ कराएगा. इससे इस मिशन के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी मिलेगी. यह प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति को आंकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने की छूट देगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन के मुताबिक आदित्य एल-1 मिशन को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लेग्रेंगियन पॉइंट 1 (एल-1) के चारों ओर प्रभामंडल की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा, ताकि बिना किसी बाधा या ग्रहण के निरंतर सूर्य का प्रेक्षण किया जा सके.
ARIES की स्थापना
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशन साइंसेज (ARIES) नैनीताल के मनोरा पीक पर स्थित है. खगोल विज्ञान का अध्ययन करने के लिए सबसे अच्छा इंस्टिट्यूट माना जाता है. आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की 'उत्तर प्रदेश राजकीय वेधशाला' के नाम से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 20 अप्रैल 1954 को वाराणसी में किया गया था.
इसके बाद 1955 में नैनीताल एवं 1961 में अपने वर्तमान स्थान मनोरा पीक पर स्थापित किया गया. साल 2000 में उत्तराखंड गठन के बाद यह राजकीय वेधशाला के रूप में जाना जाने लगा. 22 मार्च 2004 को भारत सरकार के अधीन एक स्वायतशासी संस्थान का रूप दिया गया.