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आर्किटेक्ट ने भी लाइसेंस शुल्क पर जताया विरोध, कहा- निगम कर रहा मनमानी

देहरादून में 111 श्रेणी के व्यवसायों पर शुल्क का विरोध अब आर्किटेक्ट ने भी करना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि निगम ने आर्किटेक्ट एक्ट 1972 का उल्लंघन किया है. बता दें, निगम ने सभी प्रकार के व्यापारियों पर लाइसेंस शुल्क लगाने का प्रस्ताव पारित किया था, जिसका दून के व्यापारी विरोध कर रहे हैं.

Dehradun Hindi News
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Published : Jan 29, 2020, 11:24 PM IST

देहरादून:नगर निगम देहरादून की ओर से जहां 111 श्रेणी के व्यवसायों पर शुल्क लगाने का व्यापारी विरोध कर रहे थे तो वहीं इस मामले पर निगम ने नया फैसला लिया है. कुछ समय के लिये लाइसेंस शुल्क को स्थागित किया गया, जिस कारण देहरादून की व्यापारी काफी खुश हैं, लेकिन इनकी खुशी ज्यादा दिन की नहीं है. क्योंकि, नगर निगम प्रशासन की ओर एक कमेटी का गठन किया गया है, जो कि निर्धारित रेट को कम करने का निर्णय लेगी. वहीं, लाइसेंस शुल्क को लेकर अब आर्किटेक्ट ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की है.

लाइसेंस शुल्क के विरोध में उतरे आर्किटेक्ट.

बता दें कि नगर निगम क्षेत्र में आने वाले सभी व्यापारियों पर सब्जी, फल, दूध, जनरल स्टोर, रिटेल, होल सेल, होटल और चाय की दुकान सहित सभी प्रकार के व्यापारियों पर लाइसेंस शुल्क लगाने का प्रस्ताव पारित किया था. यह शुल्क 5 हजार रुपए से अधिकतम 80 हजार रुपए तक वसूला जाना था. इस भारी भरकम शुल्क से व्यापारियों में आक्रोश था. इस मामले में व्यापारियों ने मेयर सुनील उनियाल गामा से मुलाकात भी की थी, लेकिन कोई आश्वासन नहीं निकल पा रहा था, जिसके बाद व्यापारियों ने नगर निगम पहुंचकर प्रदर्शन किया और उसके बाद मेयर सुनील उनियाल गामा ने लाइसेंस शुल्क को स्थगित कर दिया था.

वहीं, उपनगर आयुक्त कि माने तो नगर निगम क्षेत्र के अंंतर्गत लाइसेंस की प्रकिया में कई व्यापारियों ने आपत्ति जाहिर की. जिसको देखते हुए फिलहाल लाइसेंस को स्थागित किया गया है. वहीं, इस मामले पर निगम ने एक कमेटी गठित की है. जिसमें निर्धारित रेट को कम करने का निर्णय लिया जायेगा.

पढ़ें- देहरादून: बिल्डरों पर शिकंजा कसने में नाकाम RERA, अपने ही फैसलों पर नहीं करवा पा रहा अमल

देहरादून नगर निगम देहरादून की ओर से जारी लाइसेंस शुल्क का एक ओर व्यापारियों का विरोध कर रहे हैं तो वहीं लाइसेंस को लेकर आर्किटेक्ट ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की है. क्योंकि, निगम ने आर्किटेक्ट से भी लाइसेंस की फीस तय की है. आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने इसे आर्किटेक्ट एक्ट 1972 का उल्लंघन बताया है. आर्किटेक्ट डीके सिंह ने कहा है केंद्र सरकार ने आर्किटेक्ट एक्ट के तहत काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर में रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट को लोकल बॉडी में रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है. ऐसे में उन्होंने नगर आयुक्त से बात की है, जहां आयुक्त ने इस पर संज्ञान लेनी की बात कही है.

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