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उत्तराखंड में सेब, नाशपाती और अन्य फलों के बागों को किया जाएगा पुनर्जीवित

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Published : Nov 2, 2020, 6:51 PM IST

उत्तराखंड में सेब, नाशपाती और दूसरे कई फलों के बागों को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार की जाएगी. इसके लिए भरसार विश्वविद्यालय और जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपतियों की एक समिति बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

cm trivendra
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देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीविकरण एवं विस्तारीकरण के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं. किसानों के स्किल डेवलपमेंट की योजना बनाए जाने को लेकर सरकार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक और माइक्रो इरीगेशन का लाभ अधिकतम गांवों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए. सुअर, बंदर आदि जंगली जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का सर्वे करते हुए अधिक प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए तार-बाड़, दीवार बनाने का काम प्राथमिकता से किया जाए. सीएम आवास में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि, उद्यान और रेशम विकास विभागों की समीक्षा की.

आधुनिकतम तकनीक से फलों की खेती को बनाया जाए लाभप्रद

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वर्तमान में सेब एवं अन्य फलों की खेती को आधुनिकतम तकनीक के उपयोग द्वारा लाभप्रद बनाया जाए. आवश्यकता होने पर दूसरी किस्मों से बदला भी जा सकता है. इसके लिए औद्योनिक विभाग ठोस काम करें. किसानों के स्किल डेवलपमेंट के लिए योजना बनाई जाए. मुख्यमंत्री ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीविकरण व विस्तारीकरण के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए.

फार्म मशीनरी बैंक से जुडें अधिकाधिक गांव

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक किसानों के लिए काफी लाभप्रद हैं, ऐसे प्रयास किए जाएं कि अधिक से अधिक गांव इसके अंतर्गत आ सके. माइक्रो इरीगेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. विभाग इसके लिए कार्ययोजना बनाए.

जंगली जानवरों से खेती को नुकसान का सर्वे

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में एक बड़ी समस्या जंगली जानवरों के कारण आ रही है. सूअर, बंदर आदि जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का व्यापक सर्वे किया जाए. जिन क्षेत्रों में समस्या ज्यादा गम्भीर हैं, वहां प्राथमिकता के आधार पर तार-बाड़, दीवार आदि बनाने का काम किया जाए.

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किसान सम्मान निधि में सावधानी से हो डाटा फीडिंग

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती का और विस्तार किए जाने की जरूरत है. जैविक उत्पादों के विपणन के लिए ग्रोथ सेंटरों का उपयोग किया जाना चाहिए. नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे जैविक कृषि के लिए चयनित गांवों में मॉनिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. किसान सम्मान निधि में किसी तरह की शिकायत न आए. इसके लिए डाटा फीडिंग सावधानीपूर्वक की जाए.

निकटवर्ती गांवों में काम करें कृषि से जुड़ी शिक्षण संस्थान

मुख्यमंत्री ने कहा कि कीड़ा जड़ी, मशरूम आदि उत्पादों पर रिसर्च की जाए. कृषि व औद्योगिकी से जुड़े शिक्षण संस्थानों के छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान के लिए निकटवर्ती गांवों में भेजा जाए. भरसार व जीबी पंत विवि अपने निकवर्ती गांवों में कार्य करें. जल्द से जल्द चाय विकास बोर्ड की बैठक आयोजित की जाए. अधिकारी फील्ड में जाएं और वहां किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को दूर करें.

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश के आर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए '3K आर्गेनिक उत्तराखण्ड आउटलेट' स्थापित किए जाएंगे. 3K से मतलब कृषि एवं कृषक कल्याण है. अगले 2 वर्ष में 1300 आउटलेट बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य में किसानों को लाभकारी खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. हरिद्वार में बहुत से किसानों ने गन्ने की खेती के स्थान पर लेमनग्रास की खेती शुरू की है. उन्हें इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है. एकीकृत फार्मिंग के कान्सेप्ट पर भी काम किया जा रहा है.

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किसान सम्मान निधि में 8.57 लाख किसान लाभान्वित

बैठक में बताया गया कि किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत पात्र 8.74 लाख कृषकों मे से 8.57 लाख कृषकों को 852.04 करोड का भुगतान किया गया है. वर्ष 2017-18 से अब तक 230 कस्टम हायरिंग सेन्टर, 1444 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित हुए हैं. खाद्यान उत्पादन वृद्धि के लिए प्रदेश को निरन्तर 2 वर्ष भारत सरकार से प्रशंसा एवं कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है.

परम्परागत कृषि विकास योजना में 1 लाख 95 हजार किसान लाभान्वित
उत्तराखंड में जैविक कृषि अधिनियम 2019 लागू किया गया है. जिससे जैविक कृषि को संगठित करने में सहायता प्राप्त होगी. वर्तमान में विभाग के प्रयास से ये क्षेत्रफल बढ़कर 1.54 लाख तक पहुंचा है.

8.82 लाख कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड

वर्ष 2017-18 से वर्तमान तक जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा हेतु 94 गांव लाभान्वित हुए. प्रदेश के 8.82 लाख कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए. मृदा परीक्षण की संस्तुतियों को अपनाने से 212 करोड़ रुपए की लागत के 1.17 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की कम खपत हुई. जिससे 202 करोड़ रुपए अनुदान की बचत हुई. उत्पादकता वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उर्वरकता में भी सुधार हो रहा है.

नमामि गंगे में 42 ग्राम जैविक खेती के लिए चयनित

प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने हेतु संचालित योजना में वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक के लिए 3900 कलस्टरों का चयन किया गया. नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे बसे ग्राम पंचायतों में जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि गंगा नदी के जल को प्रदूषित होने से रोका जा सके. योजना के प्रथम चरण में वर्ष 2017-18 से गंगा बेसिन पर बसे 5 जनपदों के 42 ग्रामों को चयनित किया गया. इनमें 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल को स्वीकृति प्रदान की गयी है.

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