देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है. भाजपा ने भी उत्तराखंड में 59 प्रत्याशियों की सूची घोषित कर दिया है, लेकिन टिकट बंटवारे से नाखुश भाजपा के कई कार्यकर्ता ऐसे हैं, जो टिकट नहीं मिलने के बावजूद चुनावी मैदान में हाथ आजमाएंगे. ऐसे में भाजपा की परेशानियां बढ़ सकती हैं.
सीटिंग विधायकों का कटा टिकट: गौरतलब है कि बीजेपी से टिकट की आस लगाये कई दावेदारों की उम्मीदें लिस्ट जारी होते ही टूट गई है. वहीं, पहली लिस्ट में बीजेपी ने 10 सीटिंग विधायकों का टिकट भी काट दिया है. जिससे दावेदारों के साथ ही कई कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है. जिसको लेकर ये दावेदार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उतर सकते हैं.
बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी: ऐसे में बीजेपी के नाराज कार्यकर्ता अगर चुनावी मैदान में आते हैं तो वह पार्टी प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. जिसका कांग्रेस प्रत्याशी को सीधा-सीधा फायदा होगा और इससे प्रदेश में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है. ऐसे में उत्तराखंड में कई ऐसे विधानसभा सीट है, जहां भाजपा को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
अपने ही बढ़ाएंगे भाजपा की मुश्किलें ये भी पढ़ें:2016 की 'गलती' मानकर हरक सिंह रावत ने थामा 'हाथ', हरीश रावत ने किया 'स्वागत'
धर्मपुर विधानसभा:अब तक यह माना जा रहा था कि धर्मपुर विधानसभा से सीटिंग विधायक विनोद चमोली का टिकट कट सकता है. क्योंकि भाजपा की इंटरनल सर्वे रिपोर्ट चमोली के खिलाफ थी, लेकिन भाजपा ने उन्हीं पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया. ऐसे में पिछले कई बार से दावेदारी कर रहे वीर सिंह पंवार टिकट आवंटन से नाखुश हैं.
बीजेपी को वीर पंवार की चुनौती: वीर सिंह पंवार का कहना है कि उन्होंने लंबे समय तक भाजपा के लिए काम किया है, लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी ने उनके लिए नहीं सोचा. अब वह अपने जनाधार के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे और अपने दम पर चुनाव जीत कर भी दिखाएंगे, जिससे साबित हो जाएगा कि पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर गलत फैसला किया है.
कैंट विधानसभा: दिवंगत विधायक हरबंस कपूर की पत्नी सविता रावत कपूर पर बीजेपी ने भरोसा दिखाया है. बीजेपी ने इस बार कैंट विधानसभा से उन्हें टिकट दिया है. वहीं टिकट की रेस में खड़े जोगिंदर पुंडीर, दिनेश रावत और आदित्य चौहान सहित कई दावेदार ऐसे थे, जो टिकट की दावेदारी कर रहे थे. ऐसे में दिनेश रावत ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा तकरीबन 35 साल से पार्टी के लिए उन्होंने काम किया है, लेकिन और दो बार उनका टिकट काटा गया, अब वह खुद चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगे.
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प्रीतम पंवार को टिकट देने से नाराजगी: वहीं, धनौल्टी विधानसभा में भी भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. क्योंकि हाल ही में निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार भाजपा में शामिल हुए, जिसे पार्टी ने इस बार अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन वहां पहले से बीजेपी के वरिष्ठ नेता महावीर रांगण को टिकट न मिलने की वजह से भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है. कार्यकर्ता महावीर रांगण को प्रत्याशी के रूप में लड़ाने की बात कर रहे हैं. ऐसे में प्रीतम पंवार का कहना है कि वह सब को एक साथ जोड़कर काम करेंगे और भाजपा के सभी साथियों को मना लेंगे.
इन सीटों पर कार्यकर्ता लड़ेंगे चुनाव: देवप्रयाग और कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर भी भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ कार्यकर्ता चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. देवप्रयाग से मगन सिंह बिष्ट और कर्णप्रयाग से टीकम प्रसाद मैखुरी ने अपने ही प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जिससे पार्टी की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. अब देखना होगा कि पार्टी किस तरह चुनाव में डैमेज कंट्रोल करेगी.
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कैसे दूर होगी बीजेपी की चुनौती: ऐसे में नाम वापसी से पहले भी अगर भाजपा इन नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में सफल रही तो पार्टी को नुकसान से बचाया जा सकता है. वहीं,अगर पार्टी इन्हें मनाने में असफल रही तो निश्चित तौर पर भाजपा को नुकसान होगा. हालांकि पार्टी के बड़े नेताओ की मानें तो पार्टी इन्हें मनाने की पूरी कोशिश करेगी और पार्टी का दावा है कि सभी कार्यकर्ताओं को मना लिया जाएगा.