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बाल दिवस स्पेशल: 'दिव्य ज्ञान' की मिसाल ये दो नन्हें भाई, अद्भुत और अकल्पनीय हैं इनके कारनामे

बाल दिवस के मौके पर ईटीवी भारत तीर्थनगरी के दो ऐसे नन्हें भाइयों से रूबरू कराने जा रहा है, जिनके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे. ये दोनों भाई आंखों पर पट्टी बांधकर ऐसे कारनामे करते हैं कि आप दांतों तले अंगुली दबानों को मजबूर हो जाएंगे.

ऋषिकेश

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Published : Nov 14, 2019, 9:29 AM IST

Updated : Nov 14, 2019, 10:19 AM IST

ऋषिकेश: पूरा देश आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जंयती मना रहा है. बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू बुलाते हैं. बच्चों से लगाव और बेशुमार प्यार के लिए जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन 14 नवंबर को हर वर्ष बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. बाल दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको तीर्थ नगरी के दो ऐसे भाइयों की अद्भुत कहानी बताने जा रहा है जो अविश्वसनीय और अकल्पनीय है. इन दोनों बच्चों को देखकर आपको शायद विश्वास न हो, लेकिन ये बच्चे आंख पर पट्टी बांधकर पढ़ते हैं. बंद आंखों से फोटो पहचानते हैं और रूबिक क्यूब को चंद सेकेंडों में सॉल्व कर देते हैं.

'दिव्य ज्ञान' की मिसाल ये दो नन्हें भाई

ऋषिकेश में रहने वाले अनुभव और विभुम बेमिसाल हैं. दोनों भाइयों ने सिर्फ 5 महीने में ऐसे-ऐसे कारनामे कर दिए हैं जो बड़े-बड़े विद्वान कई सालों के अभ्यास के बाद भी नहीं कर पाते. अनुभव जिसकी उम्र महज 13 साल है, वह आंख पर पट्टी बांधकर कठिन से कठिन क्यूब झट से सॉल्व कर देता है. बिना देखे फर्राटे से किताब पढ़ सकता है. बिना देखे तस्वीर के बारे बता सकता है कि फोटो में कितने लोग हैं ? उसमें कितनी महिलायें हैं ? कितने पुरुष हैं ? इतना ही नहीं अनुभव आंखों पर पट्टी बांध कर बता सकता है कि यह किसकी तस्वीर है.

अनुभव का छोटा भाई विभुम भी बड़े भाई के नक्शे कदम पर ही चल रहा है. हालांकि, विभुम अभी कुछ ही क्यूब सॉल्व कर पाता है, लेकिन बाकी की गतिविधियां बड़े भाई के जैसे ही कर सकता है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में दोनों भाइयों ने बताया की इस बारे में उनको कोई भी जानकारी नहीं थी. दोनों भाई आपस में इस तरह का खेल खेला करते थे. एक दिन ट्यूशन टीचर ने उनकी इन गतिविधियों को ध्यान से देखा. जिसके बाद इसका जिक्र उनके माता-पिता से किया. अपने बच्चों के बारे में यह सबकुछ जानकर वे काफी खुश हुए. उसके बाद दोनों बच्चों को इसका अभ्यास करवाना शुरू कर दिया. दोनों बच्चों ने मात्र 5 महीने के अभ्यास में यह सब करने लगे.

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बच्चों की मां प्रियंका अग्रवाल ने बताया की पहले बच्चे रब करने के बाद अक्षर को पहचानते थे, लेकिन अब ये बच्चे बिना रब किये ही फर्राटे से सब कुछ पढ़ सकते हैं. रंगों को पहचान सकते हैं. प्रियंका अग्रवाल का कहना है कि अगर कोई बेहतर प्रशिक्षक उनको मिलता है तो वे अपने बच्चों को इसी क्षेत्र में आगे बढ़ाना की कोशिश करेंगी.

कहतें हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं. मतलब बच्चा क्या कर सकता है ? इस बात का अंदाजा बचपन में ही लग जाता है. वैसे ही अनुभव और विभुम दोनों भाइयों ने भी अपना हुनर अभी से ही दिखाना शुरू कर दिया है. अनुभव ने बताया की वह बड़ा होकर सुप्रीम कोर्ट का जज बनना चाहता है. तो वहीं, विभुम आईएएस अधिकारी बनना चाहता है.

Last Updated : Nov 14, 2019, 10:19 AM IST

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