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आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की इजाजत का विरोध, प्रदेशभर में ओपीडी रही बंद

अगर सरकार अपना ये फैसला वापस नहीं लिया तो आगामी 28 तारीख को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की केंद्रीय कार्यकारिणी एक बैठक आयोजित करेंगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. ताकि सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का दबाव बनाया जा सके.

Allopathic doctors protest
Allopathic doctors protest

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Published : Dec 11, 2020, 7:30 PM IST

देहरादून: आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी करने का अधिकार दिए जाने के खिलाफ एलोपैथिक डॉक्टरों ने शुक्रवार को ओपीडी बंद करके सरकार को अपना विरोध जताया. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से जुड़े निजी डॉक्टरों ने भी विरोध स्वरूप अपने क्लीनिक बंद किए थे. जिसकी वजह से मरीजों की काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कोऑर्डिनेटर डॉ. संजय प्रीति ने कहा कि उनकी केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक आगामी 27 और 28 दिसंबर को आयोजित होने जा रही है. जिसमें भविष्य की रणनीति पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम को पूरा करने में साढे पांच साल का समय लगता है. इसके बाद स्पेशलाइजेशन कोर्स के लिए 3 साल और लगते हैं. तब जाकर वे कही सर्जन बनते हैं, लेकिन सरकार सरकार ने आयुर्वेदिक में सर्जरी अप्रूव कर दी है. जिसको लेकर आईएमए के डॉक्टरों ने अपनी आपत्ति जताई है.

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आयुर्वेदिक चिकित्सक सर्जरी में दवाइयां, एनेस्थिसिया और पैथोलॉजी सब कुछ एलोपैथिक ही इस्तेमाल करेंगे. आयुर्वेदिक चिकित्सक जो कोर्स करते हैं उस पाठ्यक्रम में थोड़ा पोर्शन एलोपैथिक और ज्यादा पोर्शन आयुर्वेदिक का होता है. उसके बावजूद आयुर्वेदिक सर्जरी में कई तरह की सर्जरी करने के अधिकार दे दिए गए हैं, जबकि एमबीबीएस पाठ्यक्रम में एक सब्जेक्ट में ही सर्जरी की स्पेशलाइजेशन दी जाती है. इसी का विरोध आईएमए चिकित्सक कर रहे हैं.

हरिद्वार में बंद रहे डॉक्टरों क्लीनिक

हरिद्वार में भी आईएमए से जुड़े डॉक्टरों ने एक दिवसीय हड़ताल की. निजी अस्पतालों ने सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ओपीडी ठप रखी. हरिद्वार के एक निजी होटल में बैठक के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि केंद्र सरकार ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की परमिशन देना उचित नहीं है. बिना किसी ट्रेनिंग के एक डॉक्टर सर्जरी नहीं कर सकता है. सरकार के जबर्दस्ती थोपे गए इस निर्णय को वो बिल्कुल भी स्वीकार किया जाएगा. आगामी 28 दिसंबर को उनकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी इसका विरोध करने में जो भी निर्णय लेगी उसका पुरजोर समर्थन करेंगे.

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