देहरादून:उत्तराखंड में चल रही चारधाम परियोजना में लगातार कट रहे जंगलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने पद से इस्तीफा दे दिया है. ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के निर्माण में लगातार हो रहे पर्यावरण के दोहन को लेकर प्रख्यात पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने ये कदम उठाया है. इसके साथ ही बड़ा बयान देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सही जानकारी नहीं दी जा रही है. यही वजह है कि उनके पास सीमित सूचना है. इन सब मुद्दों को लेकर पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.
जरूरत से ज्यादा चौड़ी सड़कों का हो रहा निर्माण:रवि चोपड़ा ने बताया कि ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट में सड़क की चौड़ाई को बिना जरूरत के बनाया गया है. रक्षा मंत्रालय द्वारा 7 मीटर चौड़ी सड़क का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन सड़क मंत्रालय द्वारा 12 मीटर चौड़ी सड़क का नोटिफिकेशन लाकर अपने मकसद को पूरा किया गया है.
सबसे बड़े ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट में बढ़ा विवाद. अब नहीं बचा पाऊंगा पर्यावरण:चोपड़ा ने कहा कि, मौजूदा स्थिति में जिस तरह से ऑल वेदर रोड का निर्माण किया जा रहा है, उसमें अब वो उत्तराखंड के पर्यावरण को नहीं बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पहाड़ का कटान किया जा रहा है. उससे आने वाले समय में भीषण तबाही से इनकार नहीं किया जा सकता है.
नितिन गडकरी को नहीं दी जा रही है सही जानकारी:रवि चोपड़ा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पास बेहद सीमित जानकारी है. उन्हें अधिकारियों द्वारा सारी बात नहीं बताई जाती हैं. अधिकारी जनप्रतिनिधियों को सिर्फ उतना ही बताना चाहते हैं, जितना जनप्रतिनिधि सुनना चाहते हैं. अधिकारी कभी भी प्रोजेक्ट का दूसरा पहलू जनप्रतिनिधियों को नहीं बताते हैं, जो कि बेहद घातक होता है.
नितिन गडकरी ने हाल ही में दिया था बयान:हाल ही में उत्तराखंड दौरे पर आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट को लेकर बयान दिया गया था कि उत्तराखंड की सामरिक दृष्टि के लिहाज से यहां सड़कें बेहद अच्छी गुणवत्ता की बनाई जा रही हैं, ताकि चीन की बराबरी की जा सके. नितिन गडकरी ने इस बात का भी जिक्र किया था कि किस तरह से पर्यावरण संरक्षण की समस्या इस प्रोजेक्ट के बीच में आई, जिसके बाद उन्होंने चीन का हवाला देते हुए कहा था कि भारत बड़े स्तर पर बॉर्डर एरिया के पास इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डअप कर रहा है.
इस बात पर पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा का कहना है कि, चीन सीमा की तरफ के पहाड़ों और उत्तराखंड के पहाड़ों में बेहद अंतर है, जिसे समझने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि किस तरह से उनके जीवन का एक लंबा समय उत्तराखंड की प्रकृति को समझने में लगा है. चोपड़ा ने कहा कि, हमारे पहाड़ इतनी चौड़ी सड़कों के लिए उपयुक्त नहीं है और इस तरह से अगर लगातार पहाड़ का कटान और पर्यावरण का दोहन होता रहा, तो यह आने वाले भविष्य के लिए एक बड़ा अलार्म है.
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पेड़ों का ट्रांसप्लांट व्यवहारिक नहीं: रवि चोपड़ा ने नितिन गडकरी के पेड़ों को ट्रांसप्लांट किए जाने वाले बयान पर कहा कि, पेड़ों का ट्रांसप्लांट बिल्कुल अव्यावहारिक बात है. पेड़ को ट्रांसप्लांट तो किया जा सकता है लेकिन वहां पर मौजूद सारे इकोसिस्टम का क्या? उन्होंने कहा कि जब कहीं पर सड़क कटान के लिए जंगल काटा जाता है, तो वहां पर मौजूद पूर इकोलॉजी सिस्टम ध्वस्त हो जाता है. वहां पर घास, झाड़ियां, झरने और पानी के स्रोत, जीव जंतु होते हैं. जब पेड़ पौधे काटे जाते हैं, तो पूरा इको सिस्टम तहस-नहस हो जाता है, जिसे समझने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एलिवेटेड सड़क बनाने की जरूरत है. इसके अलावा भी और कई तरह के विकल्प हैं, जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है.
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की अगुवाई में बनाई गई थी हाई पावर कमेटी:ईटीवी भारत से बातचीत में पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने ऑल वेदर रोड निर्माण में उत्तराखंड के प्राकृतिक धरोहरों के हो रहे नुकसान को लेकर चरणबद्ध तरीके से जानकारी दी. पिछले 45 सालों से उत्तराखंड के लिए प्राकृतिक संरक्षण और पर्यावरण को लेकर शोध का काम कर रहे रवि चोपड़ा ने बताया कि साल 2019 में जब ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड में बेतहाशा पेड़ों का कटान किया जा रहा था. इसके बाद कुछ समाज सेवी संस्थाओं द्वारा इस मामले को न्यायालय की शरण में ले जाया गया, जहां पर सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया था, जिसका मकसद था कि ऑल वेदर रोड का निर्माण प्राकृतिक दोहन को ध्यान में रखते हुए किया जाए और कम से कम पेड़ों का कटान हो.
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सड़क मंत्रालय के 2018 के नोटिफिकेशन बना था आधार:एचपीसी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा था कि उत्तराखंड के पहाड़ों पर डबल लेन सड़क ना काटी जाए और ऑल वेदर रोड की चौड़ाई 5 मीटर तक रखी जाए. वहीं, इसके अलावा साल 2018 में सड़क मंत्रालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें पहाड़ों पर सड़क कटान को लेकर स्पष्ट कहा गया था कि पहाड़ों पर सड़क की चौड़ाई अधिकतम 5 मीटर ही रखी जा सकती है. इस नोटिफिकेशन को आधार बनाते हुए एचपीसी ने अपनी बात को और मजबूती के साथ रखा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑल वेदर रोड की चौड़ाई को कम करने के निर्देश दिए थे.
रक्षा मंत्रालय ने दिया था 7 मीटर चौड़ी सड़क का सुझाव:रवि चोपड़ा ने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑल वेदर रोड की चौड़ाई को कम करने का आदेश से मंत्रालय खुश नहीं था. मंत्रालय की यह जिद थी कि रोड को डबल लेन काटा जाए, यानि 12 मीटर विद प्योर शोल्डर. रवि चोपड़ा ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने जब 7 मीटर सड़क चौड़ीकरण को उपयुक्त बताया. उसके बावजूद भी जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी. उसी के बीच में सड़क मंत्रालय द्वारा एक और नोटिफिकेशन लाया गया, जोकि 2018 के नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए ला गया, जिसमें सड़क की चौड़ाई को 12 मीटर रखने का प्रावधान था. इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने भी कोर्ट में एक प्रस्ताव दिया, जिसमें कहा गया कि रक्षा मंत्रालय ने सड़क मंत्रालय के इस नए 12 मीटर के नोटिफिकेशन पर सहमति जताई है.
रवि चोपड़ा ने बताया कि गंगोत्री यमुनोत्री और बदरीनाथ जाने वाली तीन सड़कों को सामरिक दृष्टि से देखते हुए इनके लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने परियोजना पर सीधे रिपोर्ट करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन किया है. इस समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का सहयोग मिलेगा.
वहीं, हाई पावर कमेटी को 150 किलोमीटर की नॉन डिफेंस (गैर-रक्षा) सड़कें दी गई हैं. उसमें भी यह प्रावधान किया गया है कि अगर मंत्रालय ओएचपीसी के किसी रिकमेंडेशन से समस्या है. तो वह कोर्ट की शरण में जा सकता है. यानी की कुल मिलाकर अब हाई पावर कमेटी की पावर बिल्कुल खत्म कर दी गई है. ऐसी स्थिति में रवि चोपड़ा का कहना है कि उनका रिजाइन करना ही एक बेहतर विकल्प है.