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चमोली आपदा से सबक लेकर देशभर के वैज्ञानिकों का मंथन, भविष्य के खतरों से निपटने पर चर्चा

चमोली आपदा से सबक लेकर देशभर के वैज्ञानिकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिमालयी इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने पर मंथन किया. इस दौरान मुख्य सचिव ओम प्रकाश भी मौजूद रहे.

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मुख्य सचिव ओम प्रकाश

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Published : Feb 17, 2021, 7:47 AM IST

देहरादून:चमोली आपदा से सबक लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) भविष्य की चुनौतियों को लेकर मंथन कर रहा है. इसी क्रम में एनडीएमए के सदस्य सैयद अता हसनैन और राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में देशभर के महत्वपूर्ण अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई.

बैठक में सभी वैज्ञानिकों ने चमोली में आई जल प्रलय और भविष्य के खतरों से निपटने की रणनीति पर चर्चा की. साथ ही विकास और पर्यावरण के मध्य संतुलन स्थापित करने के संबंध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया. विचार-विमर्श में तय किया गया कि विभिन्न संस्थानों की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाए जो हिमालय में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और पर्यावरण के संरक्षण को लेकर गहन अध्ययन करेगी और उत्तराखंड सरकार को अपनी रिपोर्ट दोगी. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के निपटने के लिए राज्य सरकार को हर तरह की तकनीकी व अन्य प्रकार की मदद दी जाएगी.

बैठक में मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संस्थानों को बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में बनी प्राकृतिक झील को तोड़ने के लिए लगातार काम किया जा रहा है. उन्होंने उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) के निदेशक डॉ. एमपी बिष्ट की रिपोर्ट का हवाला दते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व प्राकृतिक झील से केवल एक ओर पानी की निकासी हो रही थी लेकिन सेटेलाइट के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तीन ओर से झील से पानी की निकासी हो रही है. जिससे किसी भी प्रकार के संकट की कोई संभावना नहीं है.

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मुख्य सचिव ने इस दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), आईटीबीपी और यूसेक के निदेशक को संयुक्त रूप से झील वाले क्षेत्र की रेकी करने और रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिये. इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अतिरिक्त सचिव भारत सरकार डॉ. वी त्रिपुगा, संयुक्त सचिव रमेश कुमार दंता सहित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), वाडिया भूविज्ञान संस्थान, आईआईटी रुड़की, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (डीटीआरएल), एनटीपीसी आदि विभाग और संस्थान से जुड़े विशेषज्ञ शामिल रहे.

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