कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का बयान देहरादूनःकेरल में निपाह वायरस तेजी से पैर पसार रहा है. अभी तक केरल में निपाह से दो लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि, निपाह वायरस से 5 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इतना ही नहीं 9 साल के बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है. केरल में निपाह वायरस के फैलने की आशंका के बीच केरल सरकार ने 7 गांवों के स्कूल और बैंक को बंद रखने के आदेश भी जारी कर दिए हैं. केरल में फैले निपाह वायरस को लेकर उत्तराखंड सरकार भी अलर्ट हो गई है.
जानकारी के मुताबिक, जहां केरल में निपाह वायरस से कई लोग संक्रमित हो गए हैं तो वहीं गोवा, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु और पुडुचेरी में संक्रमित चमगादड़ पाए गए हैं. यानी देश के 10 राज्यों में निपाह वायरस दस्तक दे चुका है. हालांकि, केरल में निपाह संक्रमण से 2 लोगों की मौत होने के बाद अब देश के सभी राज्यों को अलर्ट पर रखा गया है. जिसमें उत्तराखंड भी शामिल है.
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का बयान बता दें कि भारत में निपाह वायरस का पहला मामला साल 2001 में पश्चिम बंगाल से सामने आया था. इसके बाद साल 2018 में केरल में निपाह वायरस के मामले सामने आए. उस दौरान केरल में 16 लोगों की जान गई थी. इसके बाद से अभी तक केरल में ही चार बार निपाह वायरस फैल चुका है. जिसके चलते 19 लोगों की मौत हो चुकी है.
ये भी पढ़ेंःजानिए कैसे फैलता है निपाह वायरस, लक्षण और सावधानियां, ऐसे हैं केरल के हालात वैज्ञानिकों की ओर से निपाह संक्रमितों की जीनोम सिक्वेंसिंग से इस बात की जानकारी मिली है कि इस वायरस का स्ट्रेन, बांग्लादेश और मलेशिया में फैलने वाले स्ट्रेन जैसा ही है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों की मानें तो कोरोना वायरस की तुलना में निपाह वायरस काफी जानलेवा है.
निपाह वायरस को लेकर पूरे देश में जो स्थिति बन रही है, उसको लेकर सभी सीएमओ और जिला प्रशासन को अलर्ट रहने को कहा गया है. इस वायरस से हमें भी अलर्ट रहने की जरूरत है. जल्द ही इसकी गाइडलाइन सभी जिला अधिकारियों को देने वाले हैं. -धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड
निपाह वायरस के लक्षण क्या हैं? निपाह वायरस से संक्रमित मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द, खांसी, थकान, उल्टी, दस्त, सांस लेने में तकलीफ होती है. इसके अलावा जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है. इतना ही नहीं गंभीर कमजोरी, बेहोशी और इंसेफेलाइटिस यानी दिमागी बुखार से लेकर कोमा तक पहुंचने के हालात पैदा हो सकते हैं.
निपाह वायरस से कैसे बचें?निपाह वायरस की न कोई दवा है और न ही वैक्सीन. ऐसे में सावधानी ही विपाह से बचा जा सकता है. लिहाजा, अपने आस पास अगर चमगादड़ या सुअर हों तो विशेष सावधानी बरतें. फलों को खाने से पहले अच्छी से तरह धोएं. अगर फल पर पक्षी या जानवर के खाने के निशान हैं तो ऐसे फल न खाएं. ताड़ी और खजूर के पेड़ों पर लगे खुले बर्तनों से दूरी बनाएं. मरीज के संपर्क में आने पर अच्छे से हाथ धोएं और डबल मास्क का इस्तेमाल करें.