देहरादून: दोबार सत्ता में काबिज हुई मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है. इसके साथ ही अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी बने रहेंगे. उनकी नियुक्ति पांच साल के लिए हुई है. उनके अच्छे काम को देखते हुए मोदी सरकार ने ये निर्णय लिया है.
बता दें कि पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक अजीत डोभाल की निगरानी में ही हुई थी. उन्होंने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी जानकारी दी थी. वह पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी सबसे ज्यादा चर्चा में आए थे.
पढ़ें- कैम्पटी फॉल घूमने गईं दो युवतियां करंट से झुलसीं, हालत गंभीर
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश का 5वां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था. अजित डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्होंने लगभग अपना पूरा कॅरियर IB (इंटेलीजेंस ब्यूरो) में बिताया है. वह पूर्व आईबी प्रमुख हैं. वह छह साल पाकिस्तान में रहे हैं. वह पहले पुलिस अधिकारी हैं, जिनको 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. सुरक्षा से संबंधित मसलों में वह कई मायने में PM मोदी की आंख और कान हैं.
अजीत डोभाल की गिनती देश के सबसे ताकतवार नौकरशाहों में होती है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें NSA के अलावा रणनीतिक नीति समूह (स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप, SPG) का सचिव भी बना दिया गया था.
आइए जानते हैं कौन हैं अजित डोभाल जिसने 37 सालों तक सिर्फ जासूसी की और हर बार एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. अजीत डोभाल भारत के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है. डोभाल ने पठानकोट ऑपरेशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. डोभाल कई सिक्युरिटी कैंपेन का हिस्सा रहे हैं. इसी के चलते उन्होंने जासूसी की दुनिया में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं.
पढ़ें-बेस कैंप से 4 विदेशी पर्वतारोहियों को लाया गया पिथौरागढ़, बर्फीले तूफान के कारण रोका रेस्क्यू अभियान
1945 में हुआ था जन्म
अजीत डोभाल का जन्म 1945 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. उनकी पढ़ाई अजमेर मिलिट्री स्कूल में हुई है. केरल के 1968 बैच के IPS अफसर डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए थे. उन्होंने अपना ज्यादातर समय खुफिया विभाग में जासूसी करके गुजारा है. वह 2005 में आईबी की डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए थे. उन्होंने अपने पूरे करियर में सिर्फ सात साल ही पुलिस की वर्दी पहनी है.
वह मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ भी रह चुके हैं. डोभाल को जासूसी का लगभग 37 साल का अनुभव है. वह 31 मई 2014 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे.
7 साल पाकिस्तान में गुजारे
आपको जानकर हैरानी होगी कि खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोभाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहे थे. जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने. अजीत डोभाल रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली.