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देहरादून की आबोहवा फिर होने लगी जहरीली, जानिए शहर में प्रदूषण का स्तर

अगर समय रहते इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में देहरादून की आबोहवा में सांस लेने भी मुश्किल हो जाएगा.

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देहरादून की आबोहवा खराब

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Published : Nov 5, 2020, 8:01 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 9:21 PM IST

देहरादून: दिल्ली की तरह आमजन के लिए अब राजधानी देहरादून की आबोहवा भी सुरक्षित नहीं रही है. लॉकडाउन के दौरान संवरा दून का पर्यावरण एक बार फिर प्रदूषित हो रहा है. सड़कों पर वाहनों की सख्या बढ़ने के साथ ही राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ गया है. एयर क्वालिटी.कॉम के अनुसार देहरादून में वायु प्रदूषण का स्तर काफी चिंताजनक पाया गया है.

एयर क्वालिटी.कॉम के मुताबिक, देहरादून शहर में वायु प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) 238 तक पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी खतरनाक साबित हो सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजधानी देहरादून के कनॉट प्लेस, क्लेमेंटटाउन और रायपुर में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक मिला है. यहां प्रदूषण का स्तर 315 एक्यूआई दर्ज किया गया है.

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इसके अलावा देहरादून के वायुमंडल में कार्बन का स्तर भी काफी अधिक मिला है. वर्तमान में वायु मंडल में कार्बन का स्तर 1064 माइक्रो ग्राम प्रति यूनिट है. ऐसे में यदि दून के वायुमंडल में कार्बन की मात्रा इसी तरह बढ़ती गई तो ये बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों के और मुश्किल बढ़ा सकता है.

इन सबसे अलग वायुमंडल में मौजूद अन्य प्रदूषणकारी तत्वों की बात करें तो देहरादून में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा भी सामान्य से काफी अधिक मिली है. वर्तमान में दून के वायु मंडल में नाइट्रोजन आक्साइड की मात्रा 42 है जो सामान्य से काफी अधिक है.

जिस तरह से देहरादून की आबोहवा प्रदूषित हो रही है उसने न सिर्फ वैज्ञानिकों, बल्कि आम लोगों की चिंता भी बढ़ा दी है. दीपावली पर प्रदूषण का स्तर बढ़ने के आसार है. ऐसे में दूनवासियों को समझदार नागरिक बनते हुए इस पर दीपावली पर आतिशबाजी नहीं करनी चाहिए.

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान 25 अप्रैल को घंटाघर में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमशः 47.62 और 70.93 के आस पास था. इस तरह लॉकडाउन की बदौलत कहीं न कहीं दून की हवा और पानी की स्वच्छता 25 से 30 साल पुराने स्तर पर पहुंच गई थी. लेकिन लॉकडाउन 3.0 और लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत वाहनों को कुछ शर्तों के साथ चलाने की छूट प्रदान कर दी गई ह. ऐसे में 4 मई के बाद घंटाघर में पीएम 2.5 लेवल बढ़कर 79.28 और पीएम 10 का स्तर 98.89 पर पहुंच गया था.

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पीएम 2.5 की लिमिट हवा में 60 क्यूबिक मीटर होनी चाहिए तो वहीं पीएम 10 की लिमिट 100 क्यूबिक मीटर होनी चाहिए. अगर वायु प्रदूषण में इन चीजों की मात्रा बढ़ती है तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है.

Last Updated : Nov 5, 2020, 9:21 PM IST

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