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पहाड़ के लोगों को राहत, अब दुर्गम इलाकों में भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवा रहा AIIMS - Rishikesh Hospital News

एम्स की स्वास्थ्य सुविधा लोगों को काफी राहत पहुंचा रही है. ऋषिकेश एम्स के द्वारा कई जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. जिसका लाभ मरीजों को मिल रहा है.

AIIMS Hospital Rishikesh
ऋषिकेश एम्स अस्पताल.

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Published : Jan 22, 2020, 9:10 AM IST

ऋषिकेश: प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है. अस्पतालों में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की बात कही जाती रही है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और मनमानी से जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. डॉक्टर भी पहाड़ों पर चढ़ने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में एम्स की स्वास्थ्य सुविधा लोगों को काफी राहत पहुंचा रही है. ऋषिकेश एम्स के द्वारा कई जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. जिसका लाभ मरीजों को मिल रहा है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश आउटरीच गतिविधियों के तहत प्रतिमाह आयोजित किए जाने वाले स्वास्थ्य शिविरों को उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में शीतकाल में भी जारी रखे हुए है. हाल में संस्थान की ओर से पीपलकोटी (चमोली), नारायणकोटी (रुद्रप्रयाग) व गैरसैंण में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया, जिनमें लगभग 1700 मरीजों का परीक्षण व उपचार किया गया.

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एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया ​कि सूदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए एम्स संस्थान के चिकित्सक हमेशा तत्पर हैं. इस वर्ष एम्स ऋषिकेश आउटरीच सर्विसेस के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक विस्तारीकृत करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं से विहीन इलाकों में अधिकाधिक लोग संस्थान के आउटरीच स्वास्थ्य शिविरों का लाभ उठा सकें.

एम्स के आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि एम्स संस्थान द्वारा उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, चमोली, हरिद्वार आदि जनपदों के अलावा देहरादून के ऋषिकेश नगर से सटी मलीन बस्तियों वाल्मीकि नगर, नंदू फार्म, सर्वहारानगर, चंद्रेश्वरनगर, हरिपुरकलां, वाल्मीकि बस्ती रायवाला,कृष्णानगर कॉलोनी आदि क्षेत्रों में भी नियमित स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं. जिनमें गतवर्ष करीब 2624 मरीजों के स्वास्थ्य की जांच की गई व उनका उपचार किया गया.

बता दें कि प्रदेश के जिला अस्पताल का ही हाल बेहाल है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों की तो दशा ही खराब है. अस्पतालों में न पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही इंतजाम और न संसाधन, जिनका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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