ऋषिकेशः तापमान गिरने के साथ ही उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ गया है. जिसे लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रशासन अलर्ट हो गया है. इसी कड़ी में एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के निर्देश पर विभिन्न विभागों के डॉक्टरों ने आपात बैठक की. इस दौरान बैठक में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर आठ बिंदुओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.
एम्स के निदेशक डॉ. रविकांत ने इन्फ्लूएंजा वायरस के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यही वायरस एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) का कारक बनता है. उन्होंने बताया कि तेज बुखार, शरीर में दर्द, खांसी और गले में दर्द स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं.
उन्होंने बताया कि यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है. खासकर यह बीमारी ऐसे व्यक्ति को तेजी से संक्रमित करती है जो पहले से बीमार हो. इसमें किडनी में खराबी, मोटापा, हृदयरोग, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित लोग या 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल हो सकते हैं. लिहाजा ऐसे लोगों को इस बीमारी से ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है.
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ऐसे में उन्हें बीमारी के इस तरह के लक्षण पाए जाने पर तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास जाकर जांच करानी चाहिए. साथ ही सही इलाज करवाना चाहिए. उन्होंने बताया कि यह बीमारी सामान्य वायरल जैसी ही है, लेकिन इस बीमारी के प्रति लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.
वहीं, डॉ. पीके पंडा ने स्वाइन फ्लू से बचाव के तौर तरीकों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति से तीन फिट की दूरी बनानी चाहिए. साथ ही थ्रीलेयर सर्जिकल मास्क और एन-95 मास्क पहनना चाहिए. उन्होंने बताया कि संस्थान के मेडिसिन विभाग में स्वाइन फ्लू के मद्देनजर छह बिस्तर वाला आइसोलेशन रूम उपलब्ध है. साथ ही एन-95 मास्क की व्यवस्था भी है.
इन बातों का रखें ध्यान-
- बीमारी के समय शरीर को पूरा रेस्ट दें.
- सामान्य स्थिति में हर रोज पीने वाले पानी की मात्रा को दोगुना बढ़ा दें.
- बुखार होने पर पैरासिटामोल की टेबलेट दिन में चार से पांच बार लें.
- तीन दिन दवा लेने पर आराम नहीं मिलने पर तत्काल डॉक्टर से से संपर्क करें.