देहरादून: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन कंप्लीट होने के बाद धामी सरकार ने राहत की सांस ली. वहीं इस खुशी में आज 29 नंवबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड का लोकपर्व बूढ़ी दीपावली मनाएंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि जब तक सिलक्यारा टनल में फंसे सारे 41 मजदूर बाहर नहीं आ जाते हैं, वो बूढ़ी दीपावली नहीं मनाएंगे.
उत्तराखंड में बीती 23 नवंबर को लोकपर्व बूढ़ी दीपावली जिसे इगास और बग्वाल भी कहते मनाई गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया था कि इस बार बूढ़ी दीपावली पर कोई भी सरकारी कार्यक्रम नहीं किया जाएगा, क्योंकि 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि 41 मजदूरों के बाहर आने के बाद ही वो बूढ़ी दीपावली मनाएंगे. वहीं मंगवलार 28 नवंबर को जब सभी 41 मजदूर टनल से सुरक्षित बाहर आ गए तो मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि वो आज 29 नवंबर को बूढ़ी दीपावली मनाएंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से रखे गए बूढ़ी दीपावली के कार्यक्रम में सभी मंत्री, विधायक और गणमान्य लोग शामिल होंगे.
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क्या है बूढ़ी दीपावली: दरअसल, उत्तराखंड के कई इलाकों में दीपावली के ठीक 11 दिन बाद इगास यानी बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है. इस दिन गाय और बैल की पूजा करने के साथ ही रात में पारंपरिक भैलो खेला जाता है. बूढ़ी दीपावली को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं और कहानियां पहाड़ में प्रजलित हैं, जिसमें से एक भगवान श्रीराम के वनवास से वापस आने से जुड़ी हुई है.
पौराणिक कहानियों के अनुसार जब भगवान श्रीराम 14 साल का वनवास काट कर अयोध्या लौटे तो लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. बताया जा जाता है कि पहाड़ में भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने का संदेश 11 दिन बाद मिला था. यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिला था. यही वजह है कि पहाड़ के कुछ इलाकों में दीपावली के 11 दिन बाद इगास जिसे बूढ़ी दीपावली कहते हैं, मनाई जाती है. इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन के चलते इगास नहीं मनाई थी.
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बता दें कि 12 नवंबर दीपावली की सुबह करीब 5.30 बजे उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन करीब चार किमी लंबी टनल में मुहाने से करीब 200 मीटर अंदर भूस्खनल हो गया था. इससे वहां नाइट शिफ्ट में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें बचाने के लिए करीब 17 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. 17 दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मंगलवार 28 नवंबर रात को करीब 8 बजे सभी मजदूर टनल से सुरक्षित बाहर आए. टनल से रेस्क्यू किए गए सभी 41 मजदूरों को उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक-एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दी है. साथ ही घोषणा की थी कि मजदूरों के इलाज और उनके घर जाने का सारा खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी. फिलहाल मजदूरों के स्वास्थ्य का एम्स ऋषिकेश में चेकअप किया जा रहा है. सभी मजदूरों को एयरफोर्स के चिनूक हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश लाया गया है.