मसूरीःहाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने भारी पुलिस की मौजूदगी में शिफन कोर्ट से अवैध अतिक्रमण को हटाने को लेकर कार्रवाई की. इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि और शिफन कोर्ट में निवास करने वाले लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन भी किया. कार्रवाई के दौरान तीखी झड़प भी हुई. वहीं, देर शाम तक 62 अवैध कब्जाधारियों ने 15 दिनों के भीतर खुद ही अतिक्रमण को ध्वस्त करने को लेकर शपथ पत्र दिया. जबकि, करीब 15 अवैध मकानों इस कार्रवाई में ध्वस्त किया गया.
शिफन कोर्ट से हटाया गया अवैध निर्माण. बता दें कि पुरूकुल रोपवे परियोजना के तहत मसूरी के शिफन कोर्ट में प्लेटफार्म बनाया जाना है. जहां शिफन कोर्ट में सरकारी भूमि पर करीब 84 परिवारों ने अवैध कब्जा कर रखा है. इसको लेकर साल 2018 में मसूरी नगर पालिका की ओर से अवैध कब्जाधारियों को नोटिस दिया गया था. जिसके बाद कब्जाधारी उच्च न्यायालय से स्टे लेकर आए थे. स्टे के बाद प्रशासन ने कार्रवाई रोक दी थी. अब 17 अगस्त 2020 को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद उस स्टे को खारिज कर दिया. इसी कड़ी में एडीएम अरविंद पांडे और एसपी सीटी श्वेता चौबे के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया. इस दौरान प्रशासन ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील किया था.
शिफन कोर्ट से अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई. ये भी पढ़ेंःदेवभूमि में खाकी हुई शर्मसार, सलाखों के पीछे पहुंचा दुष्कर्म का आरोपी पुलिसकर्मी
शिफन कोर्ट से अतिक्रमण को हटाने से पहले विधायक गणेश जोशी मौके पर पहुंचे. जहां उन्होंने अतिक्रमण की कार्रवाई को 15 दिनों तक के लिए स्थगित करने का आग्रह किया, जिस पर एडीएम अरविंद पांडे ने अतिक्रमणकारियों से 15 दिन के भीतर खुद अतिक्रमण को हटाने के लिए शपथ पत्र में हस्ताक्षर करने की बात कही. जिस पर विधायक गणेश जोशी और कुछ लोगों के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई. वहीं, विधायक जोशी ने बमुश्किल लोगों को शांत कराया और पीड़ित लोगों को विस्थापित करने का आश्वासन दिया.
अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई. 15 दिन के भीतर खाली करना होगा अतिक्रमण
वहीं, एडीएम अरविंद पांडे ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को 15 दिन के अंदर अतिक्रमण खाली करने को कहा गया है. कुछ लोगों ने शपथ पत्र में हस्ताक्षर किए हैं, बाकी लोगों पर कार्रवाई की जा रही है. उच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन हर हाल में किया जाना है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने शपथ पत्र दिया है, वो 10 सितंबर तक अतिक्रमण खुद हटाएंगे. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
अतिक्रमण हटाने के दौरान तैनात पुलिस बल. ये भी पढ़ेंःछह साल की सजा 13 महीने में पूरी, विधायक चैंपियन की बीजेपी में घर वापसी
कांग्रेस और मजदूर संगठन ने सरकार को बताया मजूदर विरोधी
उधर, मजदूर संगठन ने शिफन कोर्ट में प्रशासन की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार मजदूर विरोधी है और गरीबों के आशियाना उजाड़ रही है. सरकार को पहले गरीब मजदूरों को विस्थापित करना चाहिए था. उसके बाद यहां पर कार्रवाई की जानी चाहिए. वहीं, प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करते हुए पूर्व कांग्रेस विधायक जोत सिंह गुनसोला और प्रदेश कांग्रेस महामंत्री मनमोहन सिंह मल्ल धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला.
अतिक्रमण हटाने अभियान के खिलाफ धरना देते कांग्रेसी. पुलिस से भरी बस का हुआ ब्रेक फेल
मसूरी शिफन कोर्ट में अतिक्रमण को हटाने के लिए मसूरी लाइब्रेरी बस स्टैंड में एक बड़ा हादसा होने से टल गया. यहां पुलिस कॉन्स्टेबल से भरी एक बस का ब्रेक फेल हो गए. गनीमत रही कि ड्राइवर ने सूझबूझ से बस को सड़क किनारे लगे पैराफिट से टकरा दिया. जिससे बस खाई में जाने से बच गई. इस मामले में विधायक गणेश जोशी का कहना है कि किसी भी वाहन का कहीं भी ब्रेक फेल हो सकता है. यह कहना गलत है कि पुलिस विभाग के पास वाहन खस्ताहाल हालत में हैं.