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विलुप्त होती स्थानीय बोली भाषाओं के विकास को तैयार होगी कार्ययोजना, साहित्यकारों से लिया जाएगा सुझाव

उत्तराखंड की लोक भाषा के संरक्षण और संवर्धन की कवायद तेज हो गई है. स्थानीय बोली भाषा समिति ने इस दिशा में कार्य करना भी शुरू कर दिया है. साथ ही लोगों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं.

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Published : May 19, 2023, 10:35 AM IST

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स्थानीय बोली भाषाओं के विकास को तैयार होगी कार्ययोजना

देहरादून:देश भर में हजारों स्थानीय बोली भाषाएं हैं, जो रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होती हैं. वहीं, उत्तराखंड राज्य में भी तमाम स्थानीय बोली भाषाएं हैं, जिसमें से तमाम बोली भाषाएं अब धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं. जिसको देखते हुए उत्तराखंड ने स्थानीय बोली भाषा समिति का गठन किया था. ताकि विलुप्त हो रही स्थानीय बोली भाषाओं का विकास किया जा सके. इसी क्रम में अब सरकार की ओर से गठित स्थानीय बोली भाषा समिति ने अपना काम शुरू कर दिया है.

स्थानीय बोली भाषाओं के विकास को लेकर सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं. स्थानीय बोली भाषा समिति के अध्यक्ष दिलीप रावत ने भाषा विभाग के अधिकारी, समिति के सदस्यों समेत संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में विलुप्त हो रही स्थानीय बोली भाषाओं के विकास को लेकर लोगों ने अपने-अपने सुझाव दिए. वहीं, समिति के अध्यक्ष महंत दिलीप रावत ने बताया कि समिति का गठन राज्य में पिछड़ रही स्थानीय बोली-भाषा को बढ़ावा देने और जीवित रखने के लिए किया गया है. स्थानीय बोली-भाषा में जो भाषाएं विलुप्त हो रही हैं, जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, मारछा, भोटिया और अन्य जनजाति की भाषाओं के विकास के लिए सरकार को सुझाव दिया गया है.
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साथ ही कहा कि राजी जनजाति विलुप्त होती जा रही है. जिसके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए समिति के संबंधित अधिकारियों को शोध परियोजनाओं के जरिए कार्य करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. वहीं शोध परियोजना का कार्य करवाये जाने के लिए सरकार से मांग की है. स्थानीय बोली भाषा को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों या उनके अंतर्गत कार्यरत अनुसंधानकर्ताओं के माध्यम से स्थानीय बोली-भाषा समिति के लिए प्रोजेक्ट तैयार करने का सुझाव भी सरकार को दिया गया है. इसके साथ ही समिति ने सरकार को सुझाव दिया गया है कि नई शिक्षा नीति के तहत स्थानीय बोली-भाषा को स्कूली शिक्षा से भी जोड़ा जाए. ताकि हर बच्चे-बच्चे में अपनी भाषा के प्रति एक लगाव हो और भाषा को बढ़ावा मिले. स्थानीय बोली भाषा के संस्थान के ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए सरकार को सुझाव दिया गया है. स्थानीय बोली भाषा के संवर्द्धन के लिए सरकार से और अधिक वित्तीय सुविधा दिए जाने के लिए सुझाव दिया गया है.

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