देहरादून: नौ दिनों से लगातार चमोली आपदा के बाद लापता लोगों की तालाश में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. इस आपदा में 204 लोग लापता हो गए थे. जिनमें से 56 लोगों के शव बरामद हो चुके है. बरामद किए गए 56 शवों में से 29 की शिनाख्त हो चुकी है, लेकिन सेंट्रल वाटर कमीशन की जो रिपोर्ट आई है, उसने रेस्क्यू टीम की थोड़ी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
सेंट्रल वाटर कमीशन की रिपोर्ट में खुलासा. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला ने बताया कि रेस्क्यू को लेकर सबसे ज्यादा फोकस तपोवन में स्थित एनटीपीसी के चैनल पर दिया जा रहा है. जिसमें लोगों के जिंदा बचे होने की उम्मीद है. हालांकि धीरे-धीरे यह उम्मीद भी दम तोड़ दी जा रही है.
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इसके अलावा पीयूष रौतेला ने बताया कि बाकी जगहों पर लापता लोगों को ढूंढने के लिए अलग-अलग स्तर पर सर्च अभियान चलाए जा रहे हैं. लेकिन इसमें सेंट्रल वाटर कमीशन की एक रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है.
क्या कहती है सेंट्रल वॉटर कमिशन की रिपोर्ट
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बीती 7 फरवरी को ऋषि गंगा और धौलीगंगा में आई इस आपदा से जहां निचले इलाकों में नदी का तल 3 मीटर तक उठ गया है तो वहीं आपदा ग्रस्त इलाकों में नदी का तल 12 से 15 मीटर से ऊपर उठ गया है. यानी की नदी अब अपने पुराने तल से बेहद ऊपर बह रही है और बीच में कई मीटर ऊंचा मलबे का ढेर बन गया. ऐसे में नदी के तल के नीचे शवों को ढूंढना पहाड़ जैसी चुनौती है.
आपदा प्रबंधन अधिकारियों के अनुसार जो भी शव नदी के इधर-उधर या फिर सतह पर मौजूद होंगे उन्हें पूरा दमखम लगा कर ढूंढा जाएगा. लेकिन जिस तरह से पानी का बहाव था, उसे देखते हुए यह उम्मीद जताई जा रही है कि बड़ी संख्या में लोग इस 12 से 15 मीटर ऊंचे मलबे के ढेर के अंदर दबे होंगे जिन्हें ढूंढना फिलहाल बेहद मुश्किल है.