देहरादूनःपुलवामा में हाल ही में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. इस हमले के बाद कई तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं, जिसमें एक बात मुख्य रूप से सामने आई है जिसमें यह कहा जा रहा कि स्थानीय स्तर पर मदद के बिना इतना बड़ा हमला संभव नही है. इसलिए ऐसे लोगों की पहचान जरूरी है. पुलवामा में सीआरपीएफ की गाड़ी पर हमला हुआ है वह किसी बिना बैक सपोर्ट के नहीं हो सकता.
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सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने बताया कि घाटी में तेजी से बढ़ते हुए आतंकवाद के लिए सोशल मीडिया विशेष रूप से जिम्मेदार है. जिसमें यहां के नवयुवकों को विविध प्रकार के प्रलोभन देकर बरगलाया जाता है. इसमें कश्मीरी छात्र भी शामिल हैं. कश्मीरी छात्र भटकते जा रहे हैं.
सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक देश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों की आतंकी गतिविधियों में रुचि बढ़ी है. उन्होंने बताया कि 90 के दशक में ऐसे हालात नहीं थे. पिछले कुछ सालों में यह सिलसिला बढ़ता जा रहा है, जो काफी चिंताजनक है.
इसके अलावा कश्मीर में बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग भी हो रही है, जिसका उपयोग आतंकवाद को बढ़ाने में हो रहा है. इस पर अभी तक रोक नहीं लग पा रही है. फंडिंग के चलते कश्मीरी छात्र तेजी से इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. हमें इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा.
मिजोरम से लेकर कश्मीर तक महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में हिस्सा ले चुके जनरल कौशिक ने कहा कि आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए सख्त कार्रवाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि अभी दो आतंकवादी मारे जा चुके हैं और जो उनके साथी हैं वह भी जल्द पकड़े जाएंगे, क्योंकि सारा का सारा प्रोग्राम बैकग्राउंड सपोर्टर से हुआ है बस थोड़ा सा इंटेलिजेंस को और सक्रिय होने की जरूरत है.
देश के सभी इंटेलिजेंस इस काम में जुटे हुए हैं. बाकी बचे हुए आतंकियों को भी जल्द से जल्द मार गिराया जाएगा. उनहोंने कहा कि इन आतंकवादियों के आका जो पाकिस्तान में हैं वो पहचाने हुए हैं और हमें जल्द से जल्द उन पर कार्रवाई करनी पड़ेगी.
हालांकि पाकिस्तान आतंकवादियों को कभी भी हैंड ओवर नहीं करेगा. इसके लिए पाकिस्तान को दर्द देना पड़ेगा और जो पाकिस्तान में आतंकवादियों के लिए ट्रेनिंग कैंप बनाए गए हैं उसको नस्तेनाबूत करना पड़ेगा. मिलेट्री के पास इसका प्लान है और बस सरकार को क्लीयरेंस देना बाकी है.
पीडीपी है आतंकवादियों की रहनुमा
कश्मीर की पीडीपी आमतौर पर उग्रवादियों के हक में बयानबाजी करती है. इस पार्टी की कोशिश है कि कश्मीर में सेना का कंट्रोल कम हो जाए और पीडीपी लगातार कोशिश कर रही है कि आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट, जो कश्मीर में लगा है उसे कश्मीर से हटा लिया जाए.
अगर आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट कश्मीर से हट जाएगा तो सेना वहां कोई भी एक्शन नहीं ले पाएगी. हर काम के लिए सेना को मजिस्ट्रेट से पत्र लाना पड़ेगा.
क्या है आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट
सेना को आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट के तहत 4 पावर होते हैं. ये एक्ट सेना को कश्मीर में मिले हैं जिसमें वह बिना सर्च वारंट के सर्च कर सकती है, बिना अरेस्ट वारंट के किसी को भी अरेस्ट कर सकती है, कहीं भीड़ इकट्ठा हो जाए तो उसे हटाने के लिए कॉल फायर कर सकती है, इसके साथ ही बिना केंद्र सरकार की परमिशन के सेना पर कोई भी कार्रवाई नहीं किया जा सकता है.
सरकारी कर्मचारी हैं मददगार
सेना ने जिन गांवों से अपनी सेना को हटा लिया था वहां मौका देकर उग्रवादी आकर रहने लगे हैं. इसके साथ ही वहां आतंकवादियों के बैकग्राउंड सपोर्टर हैं उनकी भी हिम्मत बढ़ गई है. लेफ्टिनेंट जनरल ओपी कौशिक ने बताया कि कश्मीर में जो आतंकवादियों को एक्सपोर्टर दे रहे हैं वह वहां के टीचर, पटवारी और वकील हैं और ये सभी सरकारी कमर्चारी हैं.
कश्मीर में 80 से 90% सरकारी कर्मचारी आतंकवादियों के हितैषी बने हुए हैं जो लोग कश्मीर से अलग होना चाहते हैं और उन्हीं को केंद्र सरकार ने प्रोटेक्शन दिया है. गौरतलब है कि पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. जिसके अगले दिन ही राजौरी में आईईडी डिफ्यूज करते हुए एक और जवान शहीद हो गया. जिसके बाद आज सोमवार को आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान चार और जवान शहीद हो गए हैं. आतंकी हमले के 100 घंटे में ही भारतीय सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया है.